UP Bureau: जनपद के गौशालाओं में पशु बेमौत मर रहे हैं, महकमे की बेरहमी बेजुबानों पर भारी पड़ रही है। न तो उनके इलाज का उचित प्रबंध किया गया है और न ही चारा दाना का। 80 फीसदी गो आश्रय स्थलों में चारे की व्यवस्था नही है। दाना इतना कि ऊंट के मुंह मे जीरा। डाक्टर तो कहने के लिये हैं,
बगैर इलाज मरना बेजुबानों की तकदीर बन गयी है। मरणासन्न पशुओं के लिये जरूरी सुविधायें मुहैया कराने की बजाय महकमे के अफसर खबर छापने वाले पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा रहे हैं। जबकि आम आदमी जो गौशालाओं की व्यवस्था, फण्डिंग आदि के बारे में बहुत गहरी जानकारी नही रखता वह भी सवाल पूछता है
कि गो आश्रय स्थलों की व्यवस्था सरकार की मंशा के अनुसार चल रही है तो अनेकों पशु रोड पर क्या कर रहे हैं। गो आश्रय स्थलों को स्थापित करने के पीछे सरकार की मंशा थी कि आवारा पशुओं से किसानों की फसलों को बचाया जाये साथ ही उनकी हत्या भी रूके।
लेकिन सरकार की इस मंशा के विपरीत काम हो रहा है। करोड़ों रूपया खर्च करने के बाद भी किसानों की फसलों पर आवारा पशुओं का संकट है, दूसरी ओर जितने पशुओं की हत्यायें होती थीं उससे ज्यादा पशु महकमे की बेरहमी से बेमौत मर रहे हैं।
शनिवार को हमारे संवाददाता बीपी लहरी ने बनकटी ब्लाक के घुक्सा गांव में संचालित गौ आश्रय स्थल की पड़ताल की। यहां प्रशासनिक अव्यवस्था का आलम था। गावंशों को समुचित व्यवस्था मयस्सर नहीं है। कुल छोटे बडे 17 गौवंश मौजूद मिले।