गहरे मैरून रंग की साड़ी पहने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को सुबह 11 बजे लोकसभा के पटल पर अपनी लाल रंग की पोटली से आइपैड निकाला तो यह साफ हो गया कि इस बार डिजिटल इकोनोमी पर खास जोर होगा। डिजिटल करेंसी को लांच करने की घोषणा करने के साथ ही क्रिप्टोकरेंसी पर मुनाफा कमाने पर 30 फीसद टैक्स लगा कर और गेमिंग एनिमेशन जैसे नए उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का एलान इसी फोकस का नतीजा है।
पांच राज्यों के चुनाव के बावजूद लोकलुभावन वादों से परहेज करना सरकार की मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति को भी दिखाता है। साथ ही यह भी बताता है कि आने वाले दिनों में सरकार का पूरा जोर भारी भरकम घोषणाओं की जगह कोरोना महामारी से उबरती इकोनोमी को पूर्व में घोषित योजनाओं से ही और संवारने पर ध्यान दिया है।
पूंजीगत खर्चे में भारी भरकम बढ़ोतरी करके, टेक्नोलोजी आधारित उद्योगों को नई राह दिखा कर, ढांचागत परियोजनाओं को अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराने का मकसद भी यही है कि भारत वर्ष 2047 में एक विकसित राष्ट्र के तौर पर आजादी का जश्न मनाये। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट अभिभाषण 90 मिनट चला।
डिजिटल उद्योग, ग्रीन टेक्नोलोजी पर जोर
सीतारमण का यह चौथा बजट अभिभाषण था जो उनकी तरफ से पेश सबसे संक्षिप्त बजट रहा। मोदी सरकार का यह दसवां बजट है और पहले की हर बजट में कई ऐसी घोषणाएं हैं जिन पर अभी अमल नहीं हुआ है। ऐसे में सरकार ने डिजिटल उद्योग, ग्रीन टेक्नोलोजी (पर्यावरण सुरक्षा से जुड़े उद्योग) जैसे नये सेक्टर पर नीतियों की घोषणा पर जोर दिया है।
दिए बड़े संकेत
क्रिप्टोकरेंसी एवं दूसरी डिजिटल परिसंपत्तियों पर लेन-देन से होने वाले मुनाफे पर 30 फीसद का टैक्स लगाना, आरबीआइ की तरफ से अगले वित्त वर्ष के दौरान डिजिटल करेंसी को लांच करना और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैट्री स्वैपिंग की नीति लाकर सरकार ने बड़े संकेत दिए हैं।
क्रिप्टो पर व्यापक कानून की तैयारी
डिजिटल एसेट्स यानी क्रिप्टोकरेंसी जैसे दूसरे तकनीक आधारित वित्तीय निवेश विकल्पों को लेकर सरकार ने परोक्ष तौर पर स्पष्ट कर दिया है कि वह इन पर प्रतिबंध लगाने नहीं जा रही। इस बारे में एक व्यापक कानून बनाने की भी तैयारी है। भारत में पिछले वर्ष क्रिप्टो आधारित कारोबार में 640 फीसद का इजाफा हुआ है और माना जाता है कि चार करोड़ लोगों से ज्यादा इससे जुड़ चुके हैं।
समय पर कर नहीं भरने वाले करदाताओं को राहत
वित्त मंत्री सीतारमण ने पहले भी मध्यम वर्ग को कोई कर राहत नहीं दे सकी हैं और इस बार भी उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया है लेकिन रिटर्न भरने की प्रक्रिया को सरलीकृत करने की फिर से कोशिश की गई है और समय पर कर नहीं भरने वाले या पूर्व में कुछ आय का खुलासा नहीं करने वाले करदाताओं को एक राहत यह दी गई है कि वह दो वर्ष बाद भी कुछ अर्थदंड दे कर किसी कार्रवाई से बच सकेंगे।
वित्त मंत्री से जब बाद में मध्यम वर्ग को नजरअंदाज करने का सवाल पूछा गया तो उनका जवाब था कि ग्रामीण व आवासीय क्षेत्रों में आवासीय सुविधा बनाने, तकनीकी आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने, स्टार्ट अप को बढ़ावा देने से भी मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी। एनडीए के कार्यकाल में महंगाई की दर को काफी हद तक नियंत्रित रखने को भी उन्होंने मध्यम वर्ग की मदद के तौर पर गिनाते हुए कहा कि सरकार ने कर संग्रह बढ़ाने के लिए मध्य वर्ग पर कोई नया टैक्स नहीं लगाया है।
जीएसटी संग्रह से सरकार गदगद
जीएसटी संग्रह की स्थिति में लगातार आ रही स्थिति से गदगद वित्त मंत्री ने गर्व से बताया कि जनवरी, 2022 में तकरीबन 1.41 लाख करोड़ रुपए का संग्रह रहा है। इसके लिए उन्होंने टैक्स भुगतान करने वाले वर्ग को दो बार धन्यवाद भी दिया। जीएसटी संग्रह की बढ़ती रफ्तार ने सरकार के खजाने की स्थिति को काफी मजबूत किया है।
विनिवेश कार्यक्रम पर बदली सोच
सभी तरह के कर संग्रह की स्थिति देखे तो सरकार ने वर्ष 2021-22 में वास्तविक तौर पर 25.2 लाख करोड़ रुपये की राशि आने की स्थिति है जबकि अनुमान 22.1 लाख करोड़ रुपये की थी। अगले वित्त वर्ष 27.57 लाख करोड़ रुपये का कर संग्रह होगा। इससे सरकार पर विनिवेश कार्यक्रम को लेकर सोच बदली हुई नजर आ रही है।
विनिवेश का लक्ष्य घटाया
चालू वर्ष के दौरान 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को घटा कर 78 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है और अगले वर्ष के दौरान 65 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया है। साफ है कि विनिवेश होने वाले सरकारी उपक्रमों की सूची फिलहाल नहीं बढ़ाई जा रही। राजस्व बढ़ने की वजह से ही पूंजीगत खर्चे में 35 फीसद का वृद्धि की गई है और वर्ष 2022-23 के लिए सरकार इस मद में 7.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी।
ढांचागत विकास पर जोर
इसी तरह से ढांचागत विकास के लिए राज्यों को एक लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि देने की घोषणा को दीर्घकालिक हितों के मुताबिक देखा जा रहा है। 25 हजार नए राजमार्ग बनाने के साथ ही 400 नए वंदे भारत ट्रेने चलाने और निजी क्षेत्र की मदद से हर गांव में आप्टिकल फाइबर बिछाने की योजना ढांचागत क्षेत्र की प्रमुख घोषणाएं हैं। वर्ष 2022-23 के लिए राजकोषीय घाटा का 6.4 फीसद का लक्ष्य पिछले साल की घोषणा के मुताबिक ही हैं।