प्रयागराज: जिसकी चाहत में पूरी दुनिया इधर उधर भटक रही है वह आज मुझे एक चाय की दुकान पर चाय बेचते हुए मिल गई। सामान्य बातचीत से शुरू हुआ सिलसिला न जाने कब गंभीरता की ओर बढ़ गया कि पता ही नहीं चला।
एक नौजवान लड़की मन में हजारों ख्वाब संजोए जिंदगी को बेहतर बनाने की आस में घर की दहलीज को लांघकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्नातक में प्रवेश लेती है मगर उसके संघर्षों के सफर के बीच में ही बाप का साया सर से उठ जाता है। माता भी अपनी तबीयत से जूझने लगती है। इन हालातों में उसके परिवार के पेट पर ही संकट आ पड़ता है।
मगर कहते हैं ना, जब हौसले बुलंद हो तो बड़े से बड़ा तूफान भी कुछ नहीं कर पाता। अपने शैक्षिक सफर को जारी रखने तथा परिवार का पेट पालने के लिए वह नौजवान लड़की चाय की दुकान खोलती है। संसाधनों का अभाव था तो उसने अपने स्टडी टेबल और गैस सिलेंडर से ही खुले आसमान के नीचे दुकान की बुनियाद रख दी। उसकी इस दुकान को खुले हुए मुश्किल से 4 दिन हुए हैं अतः आप सबसे विशेष सहयोग की आशा है। कभी फुर्सत मिले तो खुशी की चाय का आनंद जरूर लीजिए और उस नौजवान लड़की के सपनों को पूरा करने में अपना सहयोग दीजिए, धन्यवाद!
स्थान- शुक्ला मार्केट (हनुमान मंदिर के सामने), सलोरी, इलाहाबाद।