नई दिल्ली- श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में तीन साल पुराना बीजेपी-पीडीपी गठबंधन मंगलवार को टूट गया। बीजेपी नेता राम माधव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसका ऐलान किया। राज्य में राज्यपाल शासन की प्रबल संभावना है। बीजेपी नेता राम माधव ने राज्य में आतंकवाद और जम्मू, लद्दाख के प्रति भेदभाव के रवैये को गठबंधन तोड़ने के पीछे जिम्मेदार बताया है। बीजेपी के महासचिव राममाधव जिस समय प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए आए, उस समय किसी को भी इस गठबंधन के टूटने का अंदाजा नहीं था। बताया जा रहा है कि पार्टी ने अपने जम्मू-कश्मीर के मंत्रियों को इमरजेंसी बैठक के लिए दिल्ली बुलाया था। राम माधव की प्रेस कॉन्फ्रेंस के कुछ समय बाद ही मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने गवर्नर एनएन वोहरा को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
मुश्किल हो गया था PDP के साथ काम करना
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी नेता राम माधव ने कहा, ‘राज्य में पीडीपी के साथ सरकार चलाना बीजेपी के लिए काफी मुश्किल हो गया था।’ वहीं श्रीनगर में प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपना पक्ष रखते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि पीडीपी ने हर बार यह कहा है कि राज्य में सख्ती की नीति काम नहीं करेगी और सुलह के जरिए ही शांति पाई जा सकती है। अपना इस्तीफा देने के बाद महबूबा ने कहा, ‘हम जम्मू-कश्मीर में सुलह और बातचीत की कोशिशों पर काम करते रहेंगे।’ इस दौरान महबूबा ने यह भी कहा कि बीजेपी के साथ गठबंधन सत्ता के लिए नहीं था।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला, जिनकी पार्टी राज्य में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है, ने इस पॉलिटिकल ड्रामे को एक वाक्य में खत्म करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है महबूबा मुफ्ती ने खुद इस्तीफा दिया होगा… न कि यह उनके पैरो के नीचे खींचा गया होगा।’
87 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी ने 25 सीटें जीती थीं, जबकि पीडीपी को 28 सीटें मिली थी। इसके बाद दोनों पार्टियों ने 2014 दिसंबर में गठबंधन के साथ सरकार बनाई थी। राज्य में नैशनल कॉन्फ्रेंस को 15 सीटें, कांग्रेस को 12 और अन्य को सात सीटें मिली थी।
चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी और पीडीपी ने एक-दूसरे के खिलाफ कैंपेन किया था। दोनों पार्टियां राज्य में हिंसा खत्म करने के नाम पर एक-दूसरे के साथ आई थी। लेकिन गठबंधन अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका, दोनों पार्टियां कई मुद्दों पर एक-दूसरे से नाराज रहीं।
उमर अब्दुल्ला और कांग्रेस का कहना है कि वे राज्य में सरकार बनाने के लिए किसी के साथ गठबंधन नहीं करेंगी। महबूबा का कहना है कि वह भी राज्यपाल से कह चुकी हैं कि वह किसी के साथ गठबंधन नहीं करेंगी।
बीजेपी ने गवर्नर रूल की सिफारिश की है। यदि गवर्नर रूल लागू होता है तो यह 2008 के बाद चौथा मौका होगा और 1977 के बाद आठवां मौका होगा। बीजेपी नेता राम माधव ने बताया कि गठबंधन वापसी का फैसला पीएम मोदी और पार्टी प्रमुख अमित शाह से चर्चा के बाद लिया गया।
राम माधव की प्रेस कॉन्फ्रेंस के तुरंत बाद पीडीपी के प्रवक्ता से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बीजेपी का फैसला उनके लिए काफी चौंकाने वाला था। बीजेपी ने राज्य में सुरक्षा व्यवस्था के हालात के लिए पीडीपी के जिम्मेदार ठहराया। राम माधव ने इस दौरान पिछले दिनों प्रेस एन्क्लेव में एक अखबार के सम्पादक की हत्या का भी हवाला दिया। इससे ठीक दो दिन पहले ईद के लिए घर लौट रहे एक जवान को अगवा कर उसकी हत्या कर दी गई थी।
राम माधव ने कहा, ‘यह बात ध्यान में रखते हुए कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हमने फैसला लिया है कि राज्य की सत्ता गवर्नर को सौंप दी जाए।’
वहीं महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘एक बात तो साफ है कि जम्मू-कश्मीर में सख्ती की नीति नहीं चल सकती है। यह समझना होगा कि जम्मू-कश्मीर दुश्मनों का क्षेत्र नहीं है। हमने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को साथ रखने की कोशिश की। मुफ्ती साहब ने जिस मकसद के साथ गठबंधन किया था, वह पूरा हुआ। हमारी सरकारी ने सीजफायर रुकवाया, पीएम का पाकिस्तान जाना, धारा 370 के साथ छेड़छाड़ नहीं होने देना, पत्थरबाजी के आरोप वाले 11 हजार युवाओं के केस वापस कराए गए। हमने सत्ता के लिए सरकार नहीं बनाई थी। हमने अपना अजेंडा को पूरा किया है।’