डलमऊ से सुशांत त्रिपाठी: गंगा को अविरल एवं निर्मल बनाने के लिए मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नमामि गंगे डलमऊ में पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नमामि गंगे से गंगा को प्रदूषण से मुक्ति कब मिलेगी यह नहीं पता। लेकिन यह योजना लोगों की जेबें बख़ूबी भर रही है। डलमऊ में चल रहे नमामि गंगे परियोजना के तहत हो रहे निर्माण में धड़ल्ले से जंग लगी सरिया और घटिया स्तर की सीमेंट का प्रयोग किया जा रहा है।
नये निर्माण टूट रहे
भ्रष्टाचार का आलम यह है कि अभी बनाए गए निर्माण कार्य टूटने लगे हैं। निर्माण प्रकिया में तय मानको की धज्जियाँ उड़ा दी हैं। परियोजना की कार्यप्रणाली हकफ़नामे के विपरीत कार्यों को अंजाम देने में दिन रात एक किए हुए हैं। यह किसी बेहतरी के लिए नहीं बल्कि घटिया निर्माण को छुपाने के लिए है। सुंदरता और साज सज्जा के लिए लगाए जा रहे लाल पत्थर अपनी गुणवत्ता से बग़ावत कर रहे हैं। घाटों को सजाने के लिए बेहद पतले और मामूली पत्थरों को घटिया सीमेंट मसाले से जोड़ा जा रहा है। गंगा की इस महत्वाकांक्षी परियोजना में डलमऊ में सब गड़बड़झाला है।
निवासियों में रोष
स्थानीय निवासियों को गंगा से बहुत लगाव है इसलिए इस भ्रष्टाचार की कई बार शिकायत की मगर परिणाम शून्य। यहाँ तक कि योजना यह थी कि हर घाट का निर्माण एक के बाद एक होगा लेकिन यहाँ के सभी घाट ख़ुदे हुए हैं जिससे श्रद्धालुओं को दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है। नमामि गंगे के यहाँ के इंचार्ज दिलीप मौर्य कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाते हैं।
जलपुरुष ने भी लगाए थे आरोप
प्रख्यात पर्यावरणविद् एवं मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने केंद्र सरकार के नमामि गंगे कार्यक्रम के क्रियान्वयन में घोर भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि इससे गंगा की सफाई होने की बजाय नदी का प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है।