नई दिल्ली ब्यूरो: दिल्ली में बेकाबू होते कोरोना के मामलों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को कड़ी फटकार लगाई है।
हाईकोर्ट ने राजधानी दिल्ली में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बावजूद लोगों की आवाजाही और एक जगह एकत्र होने के नियमों में दी जा रही ढील को लेकर बुधवार को आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की खिंचाई करते हुए पूछा कि क्या इस भयानक स्थिति से निपटने के लिए उसके पास कोई रणनीति या नीति है।
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने कहा कि गत दो सप्ताह में दिल्ली ने कोविड-19 मरीजों के मामले में महाराष्ट्र और केरल को पीछे छोड़ दिया है, ऐसे में संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए ‘आप’ सरकार ने क्या कदम उठाए हैं।
कोर्ट ने रेखांकित किया कि 10 नवंबर को दिल्ली में 8,593 नए मामले आए और संक्रमितों की संख्या बढ़ ही रही है, शहर में कंटेनमेंट जोन की संख्या बढ़कर 4,016 हो गई है। बेंच ने रेखांकित किया कि नवीनतम सिरो सर्वे के मुताबिक प्रत्येक चार लोगों में से एक में कोविड-19 का संक्रमित पाया गया। सिरो सर्वे का संदर्भ देते हुए अदालत ने कहा कि कोई भी घर बचा नहीं है।
हाईकोर्ट ने पूछा कि दिल्ली सरकार ऐसी स्थिति में नियमों में ढील दे रही है जब अन्य राज्य पाबंदियों को दोबारा लागू कर रहे हैं। कोर्ट ने 200 लोगों को सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होने और सार्वजनिक परिवहन को पूरी क्षमता से चलाने की अनुमति के पीछे के तर्क पर सवाल किया। बेंच ने कहा कि इससे संक्रमण का प्रसार तेजी से हो सकता है।
कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि दिल्ली में संक्रमण बहुत बढ़ चुका है और नियंत्रण से बाहर हो गया है, सरकार के पास इससे निपटने की कोई रणनीति है भी या नहीं।
हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त स्थायी वकील सत्यकाम से जानना चाहा कि वह (सरकार) मास्क पहनने को सुनिश्चित करने के लिए क्यों नहीं कोई कानून ला रही जिसे वास्तविक टीका आने तक प्रभावी सुरक्षा उपाय करार दिया जा रहा है।
बेंच ने दिल्ली सरकार को दो सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट पेश कर उसके द्वारा संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए उठाए कदमों को बताने को कहा, खासतौर पर तब जब कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले चिंताजनक रूप से बढ़ रहे हैं। अदालत इस मामले में अगली सुनवाई 19 नवंबर को करेगी।