नई दिल्ली : संसद के उच्च सदन के उप सभापति का चुनाव एनडीए प्रत्याशी हरिवंश के हक में हुआ है। इसके साथ ही एक बार फिर ये यूपीए को यहां पर हार का मुंह देखना पड़ा है। हरिवंश के पक्ष में 125 और हरिप्रसाद को 105 मत मिले। लोकसभा चुनाव को एक वर्ष से भी कम समय रह जाने के चलते यह चुनाव राजग और संप्रग दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण था। भाजपा के नेतृत्व वाले राजग गठबंधन ने जनता दल यूनाइटेड के सांसद और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी हरिवंश नारायण सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित किए गए थे। विपक्षी दलों ने उम्मीदवार के तौर पर कर्नाटक से राज्यसभा सांसद बीके हरिप्रसाद का नाम आगे किया था।
ऐसा तीसरी बार हुआ है
आजाद भारत की यदि बात करें तो ऐसा तीसरी बार हुआ है कि किसी गैर कांग्रेसी के हाथों में राज्यसभा के उपसभापति का पद गया हो। वहीं बीते 40 वर्षों में ऐसा पहली बार किसी गैर कांग्रेसी के हाथों में यह पद गया है। इससे पहले 1972 से 1974 तक संयुक्त सोशलिस्टस पार्टी के गोड़े मुरहरि इस पद पर विराजमान हुए थे। वही लगातार दूसरी बार 1974 से 20 मार्च 1977 तक वह इस पद पर रहे थे। इतना ही नहीं ऐसा दूसरी बार है जब राज्यसभा के उपसभापति पद पर कोई ऐसा नेता आसीन हुआ हो जो गैरकांग्रेसी के साथ-साथ किसी अखबार का संपादक भी रह चुका हो।
विपक्ष के लिए यह सबसे बड़ा मौका था
मानसून सत्र में अविश्वास प्रस्ताव हारने के बाद विपक्ष के लिए यह सबसे बड़ा मौका था कि एकजुट होकर सत्ताधारी पार्टी के लिए चुनौती खड़ी कर सकें। कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष को इससे पहले उप-राष्ट्रपति के चुनाव के समय जोरदार झटका लगा था जब जदयू ने उनके खेमे से निकलकर सत्ताधारी राजग के साथ हाथ मिला लिया था।