पंकज पांडेय, कानपुर ब्यूरो: उत्तर प्रदेश के चित्रकूटधाम मंडल की गौशालाओं में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां के गो संरक्षण केंद्रों और कान्हा गोशालाओं में पंजीकृत संख्या से 30 हजार पशु कम पाए गए हैं। इतना ही नहीं जांच में ये भी पाया गया कि इन गौशालाओं में पशुओं के लिए चारा, पानी और कर्मचारी भी नहीं हैं।
इन गौशालाओं की जांच प्रदेश के निदेशक (प्रशासन एवं विकास विभाग) डा. यूपी सिंह के निर्देश पर नोडल अधिकारियों द्वारा की गई थी। जिसमें पाया गया कि मंडल के 892 गो संरक्षण केंद्र और 14 कान्हा गोशालाओं में पंजीकृत संख्या से 30 हजार से ज़्यादा पशु कम हैं।
अधिकारियों के मुताबिक़, इन गौशालाओं में चारा, पानी, और कर्मचारी भी नहीं हैं। हद तो ये है कि पशुओं के साए के लिए यहां टिनशेड भी नहीं है। अधिकारियों ने इसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी है।
बांदा के नोडल अधिकारी डा. सोम तिवारी ने 144 गोशाला और चार कान्हा पशु आश्रय स्थलों की जांच की। यहां दस्तावेजों में 19,052 पशु पंजीकृत थे, लेकिन जांच में सिर्फ 10,052 पशु ही मिले। यानी 9000 पशु गायब थे। नोडल अधिकारी के मुतबिक, यहां की गोशालाओं में चारा-पानी की कमी के साथ ही पशुओं के रखरखाव के लिए कर्मचारी भी नहीं हैं।
वहीं चित्रकूट की 271 गोशालाओं की जांच नोडल अधिकारी डा.मनोज अवस्थी ने की। उन्होंने जांच में पाया कि यहां 27,495 पशु पंजीकृत थे। लेकिन गणना में 8 हजार पशु कम थे। इनमें 30 फीसदी गौशालाएं ऐसी थीं, जिनमें टिनशेड तक नहीं था। इसी तरह महोबा की 159 गोशालाओं की जांच नोडल अधिकारी डा. एमपी द्विवेदी की।
अधिकारी के मुताबिक, यहां की गौशालाओं में 24,685 पंजीकृत थे, लेकिन जब इनकी गिनती की गई तो 6000 पशु कम मिले। उन्होंने बताया कि यहां की 35 फीसदी गोशालाओं में पशुओं के लिए पीने के पानी व छाया की व्यवस्था भी नहीं थी। हमीरपुर के नोडल अधिकारी डा. अनिल कुमार सचान ने 318 गोशालाओं की जांच की। यहां 21,512 पंजीकृत पशुओं में 7000 पशु कम मिले। यहां भी चारा, पानी, टिनशेड व पशुओं की देखभाल के लिए मजदूर नहीं थे।