नई दिल्ली: गंगा एक्ट को लेकर 22 जून से अनशन कर रहे 86 वर्षीय प्रोफेसर जी डी अग्रवाल का निधन हो गया। इससे पहले जल त्यागने के अगले ही दिन बुधवार दोपहर को प्रशासन ने प्रो. जीडी अग्रवाल उर्फ ज्ञानस्वरूप सानंद को जबरन उठाकर ऋषिकेश स्थित एम्स अस्पताल में भर्ती करवा दिया था।
सानंद गंगा एक्ट लागू करने की मांग को लेकर 22 जून से मातृसदन आश्रम में अनशन कर रहे थे। मंगलवार को उन्होंने जल भी त्याग दिया था। इससे पहले हरिद्वार के सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने मंगलवार को उनसे जल न त्यागने का आग्रह किया था, लेकिन सानंद ने उनका आग्रह ठुकरा दिया था। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी तीन बार अपने प्रतिनिधि भेजकर सानंद से अनशन समाप्त करने का अनुरोध कर चुके हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय और जल संशाधन मंत्रालय को लिखे कई सारे पत्र
अनशन के दौरान जीडी अग्रवाल ने कहा था, ‘हमने प्रधानमंत्री कार्यालय और जल संशाधन मंत्रालय को कई सारे पत्र लिखा था, लेकिन किसी ने भी जवाब देने की जहमत नहीं उठाई। मैं पिछले 109 दिनों से अनशन पर हूं और अब मैंने निर्णय लिया है कि इस तपस्या को और आगे ले जाऊंगा और अपने जीवन को गंगा नदी के लिए बलिदान कर दूंगा। मेरी मौत के साथ मेरे अनशन का अंत होगा।’
मोदी ने नहीं पूरा किया वादा
प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में वादा किया था कि 2019 तक गंगा साफ कर दी जाएगी। हालांकि कई सारे रिपोर्ट्स बताते हैं कि गंगा की सफाई के लिए कोई खास प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं। एक संसदीय समिति, जिसने गंगा सफाई के लिए सरकार के प्रयासों का मूल्यांकन किया था, ने बताया था कि गंगा सफाई के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘मौजूदा स्थिति ये बताती है कि सीवर परियोजनाओं से संबंधित कार्यक्रमों को राज्य द्वारा सही तरीके से लागू नहीं किया गया और ये सरकार का गैरजिम्मेदाराना रवैया दर्शाता है। सीवर परियोजना सीवेज ट्रीटमेंट और जल निकायों में सीवेज के डंपिंग के मुद्दों का हल करने के लिए था।’
गडकरी के प्रतिनिधि के तौर केंद्रीय मंत्री जल संसाधन उमा भारती ने भी मातृसदन आश्रम में सानंद से मुलाकात कर अनशन समाप्त कराने का प्रयास किया था। गडकरी से फोन पर वार्तालाप के बाद भी सानंद ने गंगा एक्ट लागू होने तक अनशन जारी रखने की बात कही।