कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को एक रिपोर्ट के सामने आने के बाद कहा कि फेसबुक पर बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का कब्जा है। फेसबुक इसलिए नफरत फैलाने वाली सामग्री पर कार्रवाई नहीं करती। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए कहा, “एक बार फिर साबित हो गया है कि भारत में फेसबुक बीजेपी और आरएसएस के नियंत्रण में है।”
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने फेसबुक को लेकर अमेरिकी अखबार वाल स्ट्रीट जर्नल में छपी एक खबर का हवाला देते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने एक टीवी समाचार का वीडियो पोस्ट किया, जिसमें अमेरिकी अखबार वाल स्ट्रीट जर्नल में छपी खबर का हवाला देते हुए कहा गया है कि फेसबुक ने अपना कारोबार बिना बाधा के चलते रहने, अपने कार्यालयों तथा कर्मचारियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के भड़काऊ वीडियो पर कार्रवाई नहीं की।
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि कार्रवाई करने पर फेसबुक को सत्ताधारी बीजेपी के साथ संबंध खराब होने का डर था, इसलिए उसने बजरंग दल के भड़काऊ वीडियो को लेकर उसके खिलाफ कभी कोई कार्रवाई नहीं की। अखबार ने लिखा कि यदि फेसबुक बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करती तो कंपनी को अपना काम करने में दिक्कत होती, साथ ही उसके कर्मचारियों और कार्यालयों को भी खतरा हो सकता था।
यह पहली बार नहीं है कि भारत में फेसबुक विवादों में है। इससे पहले, इस साल अगस्त में वॉल स्ट्रीट जर्नल ने बताया था कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की नीतियां कथित रूप से पक्षपाती थीं और व्यापारिक हितों के कारण सत्तारूढ़ बीजेपी के पक्ष में थीं। रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में फेसबुक की सार्वजनिक नीति की प्रमुख अंखी दास ने प्लेटफॉर्म पर अभद्र टिप्पणी पोस्ट किए जाने के बावजूद सत्ता पक्ष और उसके एक नेता के पक्ष में पैरवी की थी।
हालांकि फेसबुक ने इन आरोपों से इनकार किया था। वहीं अंखी दास ने इस साल अक्टूबर में कंपनी छोड़ दी। उस समय कांग्रेस ने कहा था कि सिर्फ एक व्यक्ति को बदलने से मसला हल नहीं होगा। कांग्रेस महासचिव (संगठन) के. सी. वेणुगोपाल ने कहा था, “भारत के सामाजिक सौहार्द को खतरे में डालते हुए झूठे, धार्मिक ध्रुवीकरण और नफरत फैलाने वाले समाचार/सामग्री को उनके प्लेटफॉर्म पर फैलने से रोकने के लिए उठाए गए कदमों को भी रेखांकित करना चाहिए।”
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने 14 अगस्त को अंखी दास की अगुवाई वाली फेसबुक इंडिया की टीम के कथित पक्षपातपूर्ण मामलों पर महत्वपूर्ण सूचना दी थी और कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाया था। रिपोर्ट के अनुसार अंखी दास ने सत्तारूढ़ दल और उसके नेताओं का पक्ष लिया था और प्रचार-प्रसार के माध्यम से नकली और घृणित समाचार फैलाए जा रहे थे। इसके बाद, कांग्रेस ने फेसबुक इंक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को दो पत्र लिखे, जिसमें उन्होंने मामले को गंभीरता से देखने का आग्रह किया था। फेसबुक ने अपनी तटस्थता और उचित कार्रवाई का वादा करते हुए पत्रों का जवाब दिया था।