उत्तर प्रदेश

Fatehpur: गाजीपुर कस्बे में संचालित हो रहा फर्जी अस्पताल, प्रशासन मौन

Pankaj Pandey, Fatehpur: जिले में इलाज के नाम पर मुख्यालय से लेकर ग्रामीण इलाकों तक नीम, हकीम खतरे जान के नाम से विख्यात कथित डाक्टरों ने नर्सिंग होम के साथ-साथ क्लीनिक का जाल बिछा रखा है। ऐसे अधिकांश संस्थानों के पास स्वास्थ्य विभाग का पंजीयन भी नहीं है। ऐसे अस्पताल बड़े-बड़े आकर्षक भवनों में इलाज के नाम पर बोर्ड लगाकर मरीज व तीमारदारों की जेबों पर डाका डाल रहे हैं। तमाम ऐसे अस्पताल हैं जिनके पास डाक्टरों का पैनल भी नहीं है जबकि नियमानुसार किसी भी अस्पताल के संचालन में विभिन्न रोगों के विशेषज्ञ डाक्टरों का पैनल आवश्यक होता है। इन चंद चीजों को विभाग द्वारा नजरंदाज किये जाने से संचालकों के हौसले बुलन्द हैं। बताते चलें कि जिले में लम्बे अर्से से बिना पंजीयन वाले अस्पतालों का संचालन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

इन अस्पतालों में अक्सर मौत हो जाने पर मृतकों के परिजनों द्वारा जब हंगामा काट दिया जाता है तब विभाग हरकत में तो आता है लेकिन मामला शांत होते ही ऐसे मामलों को रफा-दफा करके संचालकों से मोटी रकम वसूलता है। बताते चलें कि अस्पतालों के नियमानुसार संचालन के लिए विभाग द्वारा नियम व शर्तें तय रहती हैं। किसी भी नर्सिंग होम या अस्पताल के संचालन के लिए बड़ा भवन, डाक्टरों का पैनल, प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ के साथ-साथ अस्पताल परिसर में पार्किंग का होना आवश्यक है। लेकिन पंजीकृत अस्पतालों में भी विभाग इन शर्तों के उल्लंघन खामोशी अख्तियार किये हुए है। सूत्रों का कहना है कि गाजीपुर कस्बे में बहुआ रोड पर माही मेडिकल सेंटर के नाम से एक अस्पताल का संचालन किया जा रहा है। इस अस्पताल में मरीज तो भर्ती हैं लेकिन इनका उपचार करने वाले डाक्टरों का अता-पता नहीं है।

यहां पर तैनात एक महिला स्वास्थ्य कर्मी नीलू पाण्डेय अस्पताल की देखरेख कर रही है। नीलू पाण्डेय से जब अस्पताल के पंजीयन व विभागीय शर्तों के उल्लंघन की बाबत मीडिया की टीम ने बातचीत की तो उसका कहना था कि यह अस्पताल जिला मुख्यालय के लोधीगंज इलाके में संचालित न्यू अलकबीर हास्पिटल से सम्बद्ध है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि यदि न्यू अलकबीर हास्पिटल स्वास्थ्य विभाग से पंजीकृत है तो उसे इस अस्पताल को ब्रांच का दर्जा दिया जाना चाहिए था। नीलू पाण्डेय की बातचीत से प्रतीत होता है कि ये अस्पताल भी बिना पंजीयन के संचालित हो रहा है। सवाल के जवाब में बताया कि जब मुख्यालय के अस्पताल में ही डाक्टरों का पैनल नहीं है तो यहां पर पैनल की बाबत बात करना उचित नहीं है। अस्पताल में भर्ती एक मरीज ने बताया कि यहां पर डाक्टर आते ही नहीं हैं। कथित कर्मचारी नीलू पाण्डेय ही सभी प्रकार के मर्जों का इलाज करती है। ऐसे में यदि विभाग ने नीम, हकीम खतरे जान वाले लोगों के भरोसे स्वास्थ्य सेवाएं समर्पित कर दी तो जिले में इलाज में लापरवाही के चलते दम तोड़ने वालों का तांता लग जायेगा।

द फ्रीडम स्टॉफ
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