लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2019 में सातवें चरण का मतदान सम्पन्न होने के बाद आए एक्जिट पोल ने भाजपा के खिलाफ अभियान चलाने वाली पार्टियों के सामने संकट ला दिया है। उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ बड़ा गठबंधन बनाने वाली बसपा प्रमुख मायावती से उनके सहयोगी दल के मुखिया अखिलेश यादव ने उनके आवास पर सोमवार को भेंट की। दोनों के बीच करीब एक घंटे तक बैठक चली। हालांकि बैठक के बाद अखिलेश कुछ बोलने से बचे और चुप्पी साधकर तेजी से निकल गए। माना जा रहा है कि दोनों के बीच एक्जिट पोल से उभर रही तस्वीर के साथ मतगणना के नतीजे आने तक गठबंधन के रुख को लेकर भी मंथन हुआ।
सपा-बसपा को कांग्रेस के साथ लाने की कोशिश में
सपा-बसपा गठबंधन ने एक्जिट पोल से मिल रहे आभास के मुताबिक नतीजे आने के बाद की तैयारी शुरू कर दी है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने भी शनिवार को इसी सिलसिले में मायावती और अखिलेश यादव से अलग-अलग मुलाकात की थी। विपक्षी एकता के लिए प्रयास कर रहे नायडू जहां सपा-बसपा को कांग्रेस के साथ लाने की कोशिश में हैैं, वहीं प्रदेश में नतीजों का इंतजार कर रहे यह दोनों दल परिणाम के मुताबिक ही आगे बढऩे का मन बनाए हुए हैैं। सोमवार को मायावती से मुलाकात को भी अखिलेश ने ट्वीट में अगले कदम की तैयारी करार दिया है। बताया जा रहा है कि अखिलेश-मायावती के बीच दिल्ली में सोनिया गांधी के साथ विपक्षी दलों बैठक को लेकर भी चर्चा हुई।
गठबंधन असमंजस में
एक्जिट पोल ने सपा-बसपा व रालोद गठबंधन को असमंजस में लाकर खड़ा कर दिया है। कोई एजेंसी जहां प्रदेश में गठबंधन को 20 सीटें मिलती दिखा रही है, वहीं दूसरी एजेंसी गठबंधन को 56 सीटें तक दे रही है। आकलन में तीन गुना तक अंतर ने गठबंधन समर्थकों के साथ ही विपक्ष को भी दुविधा में डाल दिया है। हालांकि सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का मानना है कि मौजूदा आंकड़े तो केवल अनुमान भर हैैं, असल तस्वीर 23 मई को सामने आएगी। चौधरी कहते हैैं कि परिणाम चौंकाने वाले होंगे, क्योंकि गठबंधन के लिए प्रदेश में जबर्दस्त वोटिंग हुई है।