मध्य प्रदेश

गर्भवती पत्नी को परीक्षा दिलाने चलाई 1176 किमी स्कूटी

शरद मिश्रा, ग्वालियर: पत्नी की याद में पहाड़ चीर देने वाले दशरथ मांझी को कौन नहीं जानता, कुछ उन्हीं की तरह झारखंड के ही मांझी समाज के धनंजय कुमार गर्भवती पत्नी सोनी हेम्बरम को डिलेड (डि.ईएल.ईएड) द्वितीय वर्ष की परीक्षा दिलाने के लिए स्कूटी से ग्वालियर के पद्मा कन्या विद्यालय पहुंच गए। धनंजय झारखंड के गोड्डा जिले के गांव गन्टा टोला के रहने वाले हैं।

गोड्डा जिला बांग्लादेश की सीमा से बमुश्किल 150 किलोमीटर दूर है। धनंजय ने करीब 1176 किमी स्कूटी चलाई और झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश के विभिन्न् पहाड़ी-मैदानी रास्तों को पार करते हुए मप्र के ग्वालियर पहुंचे। दंपती ने ग्वालियर में ठहरने के लिए दीनदयाल नगर में 1500 रुपये में 10 दिन के लिए कमरा किराए पर लिया है। 11 सितंबर को परीक्षाएं संपन्ना होने के बाद यह दंपती वापस स्कूटी से ही झारखंड के लिए रवाना होंगे।

धनंजय का कहना है कि सोनी छह महीने की गर्भवती है, दिसंबर माह में प्रसव होने की उम्मीद है। परीक्षा देना जरूरी था, लेकिन ट्रेन बंद हैं व किराये के वाहन से आने में करीब 30 हजार रुपये का खर्चा आ रहा था। ऐसे में दोनों ने तय किया कि दोपहिया वाहन से ही यह सफर तय किया जाए। 28 अगस्त को धनंजय व सोनी अपने गांव से निकले और 30 अगस्त को रुकते-रुकते ग्वालियर पहुंच गए। ‘नईदुनिया संवाददाता ने जब सोनी से पूछा कि गर्भावस्था के बावजूद इतनी परेशानी झेलना क्यों चुना? तो सोनी ने अपनी कोख पर हाथ रखा और मुस्कुरा कर कहा ‘इसी के लिए तो सब कर रहे हैं। भाग्यशाली हूं, जो इतना प्यार करने वाला पति मिला।”

धनंजय ने बताया कि दोपहिया से इतना लंबा सफर करने से बहुत लोगों ने मना किया, काफी हद तक वे सही भी थे। रास्ते में तेज बारिश होने पर हम एक पेड़ के नीचे दो घंटे तक खड़े रहे। बिहार के भागलपुर से गुजरते समय बाढ़ का सामना करना पड़ा। विभिन्ना शहर व गांवों की बदहाल सड़कों से गुजरे। गड्ढों के कारण काफी परेशानी हुई। मुजफ्फरपुर में एक रात लॉज में और लखनऊ में एक रात टोल टैक्स बैरियर पर भी रुके।

धनंजय कैंटीन में खाना बनाने (बावर्ची) का काम करते थे, बीते तीन माह से बेरोजगार हैं। स्कूटी में पेट्रोल भरवाने के लिए धनंजय ने अपनी पत्नी के जेवर 10 हजार रुपये में गिरवी रखे हैं, जिसके लिए मासिक 300 रुपये का ब्याज भी चुकाना होगा। धनंजय ने बताया कि एक तरफ के सफर में दोपहिया में पेट्रोल भरवाने में ही 3500 रुपये खर्च हो गए।

धनंजय खुद 10वीं पास भी नहीं हैं, लेकिन वे अपनी पत्नी को शिक्षक बनाना चाहते हैं। इसीलिए पत्नी फिलहाल डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (डि.ईएल.ईएड) द्वितीय वर्ष की परीक्षा दे रही हैं। धनंजय का कहना है कि हर पति-पत्नी की तरह नोंकझोंक व झगड़ा होता है, लेकिन बातचीत करने पर सभी शिकायतें खत्म हो जाती हैं।

प्राथमिक शिक्षक (पहली से आठवीं तक) बनने के लिए दो वर्षीय डिलेड पाठ्यक्रम पूरा करना जरूरी है। मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) द्वारा डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन की परीक्षाएं एक सितंबर 11 सितंबर तक आयोजित की जा रही हैं। ग्वालियर में कुल 23 केंद्रों में परीक्षा देने के लिए 10 हजार 680 विद्यार्थी पंजीकृत हैं।

मध्‍य प्रदेश में ग्‍वालियर के स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की गायनोलाजिस्‍ट ममता शुक्ला ने कहा कि गड्ढे भरे रास्तों पर सफर करने से तेज झटके लगते हैं, ऐसे में समय पूर्व प्रसूति हो सकती है, अन्य जोखिम भी हो सकते हैं। इसलिए गर्भवती महिलाओं को दोपहिया पर लंबा सफर करने से बचना चाहिए।

द फ्रीडम स्टॉफ
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