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कभी चुनाव ना हारने वाले दक्षिण की राजनीति के स्तंभ DMK चीफ एम करूणानिधि की मौत

चेन्नई: दक्षिण की राजनीति के मुख्य स्तंभ और तमिलनाडु के 5 बार मुख्यमंत्री रहे एम करुणानिधि का निधन हो गया है। अस्पताल में भर्ती 94 वर्षीय नेता पिछले 11 दिनों से जीवन के लिए संघर्ष कर रहे थे। उन्होंने मंगलवार शाम 6:10 बजे आखिरी सांस ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है।

पांच बार मुख्यमंत्री रहे

तमिलनाडु की राजनीति के सबसे करिश्माई नेताओं में गिने जाने वाले करुणानिधि पांच बार मुख्यमंत्री रहे। उनके परिवार में उनकी दो पत्नियां और छह बच्चे हैं। द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन उनके बेटे हैं। उनकी बेटी कनीमोरी राज्यसभा की सदस्य हैं। निधन का समाचार मिलने के बाद तमिलनाडु में द्रमुक समर्थक सड़कों पर उतर आए। तमिलनाडु सरकार ने बुधवार की छुट्टी और पूरे सूबे में सात दिनों तक शोक की घोषणा की है। करुणानिधि के शव को कावेरी अस्पताल से गोपालपुरम आवास ले जाया गया है। बुधवार सुबह राजाजी हॉल में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा।

पुलिस हाई अलर्ट

पूरे तमिलनाडु से जुट रहे द्रमुक समर्थकों की संख्या को देखते हुए पुलिस हाई अलर्ट पर है।पिछले महीने ब्लड प्रेशर गिरने के बाद करुणानिधि को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इससे पहले उन्हें 18 जुलाई को भी अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन बाद में उन्हें छुट्टी दे दी गई थी। वह 29 जुलाई से इंटेंसिव केयर यूनिट (आइसीयू) में भर्ती थे। अस्पताल पहुंचने की खबर आते ही उनका हालचाल जानने वालों का तांता लगना शुरू हो गया था। राष्ट्रपति भी मिलने पहुंचे थे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अस्पताल जाकर उनका हालचाल जाना था। उनके अलावा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन, अभिनेता कमल हासन के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और कई जानी-मानी हस्तियां भी पहुंची थीं।

हर चुनाव में अपनी सीट न हारने का रिकॉर्ड

12 बार विधानसभा सदस्य रहे करुणानिधि के नाम हर चुनाव में अपनी सीट न हारने का रिकॉर्ड भी रहा। उन्होंने 1969 में पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री का पद संभाला था, और 2003 में आखिरी बार मुख्यमंत्री बने थे।मोदी ने कहा, हमेशा याद रखेगा देश प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘करुणानिधि के निधन से गहरा धक्का लगा। वह देश के वरिष्ठतम नेताओं में से एक थे। हमने एक जमीन से जुड़े नायक को खो दिया। लोकतंत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध नेता को आपातकाल के खिलाफ कड़ा विरोध के लिए याद किया जाएगा।’

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