रूस-यूक्रेन संघर्ष- यूक्रेन (Ukraine) संकट के नाटकीय रूप से बढ़ने के बाद 2014 के बाद पहली बार ब्रेंट ऑयल 100 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। रूस-यूक्रेन विवाद बढ़ने से एनर्जी निर्यात में व्यवधान की आशंका बढ़ गई है। रूस (Russia) दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक (Crude Oil) है, जो मुख्य रूप से यूरोपीय रिफाइनरियों को कच्चा तेल बेचता है। रूस, यूरोप का प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा सप्लायर है, जो इसकी जरूरत का लगभग 35% प्रदान करता है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आज यूक्रेन में एक “सैन्य अभियान” की घोषणा की और पश्चिमी आक्रोश और युद्ध शुरू नहीं करने की वैश्विक अपील को ना मानते हुए मिलेट्री ऑपरेशन शुरू करने की घोषणा की।
चुकानी होगी पेट्रोल-डीजल की ज्यादा कीमत
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंसियल सर्विसेज में कमोडिटी एंड करेंसी रिसर्च के सीनियर वाईस प्रेजिडेंट नवनीत दमानी का कहना है कि रूस को कम कच्चे या प्राकृतिक गैस की आपूर्ति के लिए मजबूर करने वाले प्रतिबंधों से तेल की कीमतों और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। विश्व स्तर पर खपत होने वाले हर 10 बैरल तेल में से एक के लिए रूस से आता है, इसलिए जब तेल की कीमत की बात आती है तो वह एक प्रमुख खिलाड़ी है और इससे वास्तव में पेट्रोल पंपों पर उपभोक्ताओं को बहुत नुकसान पहुंचने वाला है।
तीन महीने से कीमतों में बढ़ोतरी नहीं
अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उछाल के बावजूद, इंडियन ऑयल कॉर्प, भारत पेट्रोलियम कॉर्प और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प ने तीन महीने से अधिक समय से पेट्रोल और डीजल की दरें स्थिर कर रखी हैं। यह तीनो कंपनियों एक साथ घरेलू बाजार के 90% से अधिक को नियंत्रित करती हैं। विश्लेषकों को उम्मीद है कि अगले महीने राज्य के चुनाव समाप्त होने के बाद भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें तेजी से बढ़ेंगी, जिससे सरकार और केंद्रीय बैंक पर मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने का दबाव बढ़ जाएगा।
मुद्रास्फीति समेत कई उपभोक्ता वस्तुओं की कीमत बढ़ेगी
भारत के लिए कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से मुद्रास्फीति, राजकोषीय और बाहरी क्षेत्र के जोखिम पैदा होते हैं। WPI बास्केट में कच्चे तेल से संबंधित उत्पादों की प्रत्यक्ष हिस्सेदारी 9% से अधिक है। कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से एलपीजी और केरोसिन पर सब्सिडी बढ़ने की भी उम्मीद है, जिससे सब्सिडी बिल में बढ़ोतरी होगी। भारत एशिया-प्रशांत में यूक्रेन का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है और कुल मिलाकर पांचवां सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। यूरोपीय देश को भारत का मुख्य निर्यात फार्मास्युटिकल उत्पाद, रिएक्टर/बॉयलर मशीनरी, यांत्रिक उपकरण, तिलहन, फल, कॉफी, चाय और मसाले हैं। यूक्रेन को होने वाले भारतीय निर्यात में फार्मास्युटिकल्स की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है।
ईरान से मिल सकती है राहत
विश्लेषकों ने कहा कि एक कारक जो कीमतों पर अस्थायी ब्रेक के रूप में कार्य कर सकता है, वह है ईरान परमाणु समझौता। चारों तरफ अफवाहें हैं कि जल्द ही एक नए समझौते की घोषणा की जा सकती है। अमेरिका और ईरान वियना में अप्रत्यक्ष परमाणु वार्ता में लगे हुए हैं, जिसमें एक समझौते से ईरानी तेल की बिक्री पर प्रतिबंध हटाने और वैश्विक आपूर्ति में वृद्धि हो सकती है।