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उत्तर प्रदेश में कोरोना की भयावह स्थिति के बावजूद भी परीक्षाओं की झड़ी, अभ्यर्थी हुए परेशान

सूर्य प्रकाश अग्रहरि की रिपोर्ट: भारत में कोरोना अपने भयावह रूप में है, रोजाना साठ हजार से अधिक मरीज सामने आ रहे हैं और लगभग 800 मरीजों की मृत्यु कोरोना के कारण हो रही है। भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का भी हाल कुछ सही नहीं है, यहाँ रोजाना 4500 मरीज सामने आ रहे हैं और लगभग 60 मरीजों की मृत्यु रोजाना हो रही है। उत्तर प्रदेश में सबसे बुरा हाल लखनऊ, कानपुर, गौतमबुद्ध नगर, प्रयागराज की है। इतने गंभीर परिणाम सामने होने के बाद भी लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित बीएड की प्रवेश परीक्षा 9 अगस्त को आयोजित होने या रही है। इस परीक्षा में 4 लाख 31 हज़ार 904 परीक्षार्थी शामिल होंगे, जिसमें से लगभग 50 फीसदी महिलाएं हैं, लेकिन बीएड प्रवेश परीक्षा का छात्र विरोध कर रहे है जिसकी वजह कोरोना महामारी है।

परीक्षार्थियों का कहना है कि जहाँ एक तरफ सरकार अनलॉक 3 की गाइडलाइंस में कहती है कि 31 अगस्त तक सभी तरह के शैक्षिक कार्य बंद रहेंगे और वहीं दूसरी तरफ सरकार सूबे में इतनी बड़ी परीक्षा आयोजित करने जा रही है, यह हम परीक्षार्थियों के जीवन के साथ खिलवाड़ है। एक तो कोरोना के संक्रमण का खतरा और दूसरा अनलॉक-लॉकडाउन की स्थिति, ऐसे में इस परीक्षा में शामिल होना खतरे से खाली नहीं होगा, परीक्षा भी 2 पालियों में होगी अथार्थ 6 घंटे की परीक्षा।

बीएड प्रवेश परीक्षा के लिए सभी परीक्षार्थियों को प्रदेश के एक जिले से दूसरे जिले में परीक्षा देने जाना पड़ेगा, ऐसे में संक्रमण का खतरा और बढ़ जाता है, किसी एक के भी संक्रमित होने से सैकड़ों लोग संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। इसलिए परीक्षार्थियों की मांग है कि कोरोना महामारी की इस विकराल परिस्थिति में प्रवेश परीक्षा स्थगित की जाए और हालात सामान्य होने पर ही परीक्षा की तिथि पुनः निर्धारित की जाए।

परीक्षार्थियों में नाराजगी इस बात की भी है कि उनका सेन्टर गृह जनपद से सैकड़ो किमी दूर भेज दिया गया है। नजदीकी सेन्टर चयनित करने के बाद भी उनका सेन्टर मनमर्जी तरीके से निर्धारित किया गया है। अनिमेष गुप्ता (बदला हुआ नाम) बताते है कि उनका घर गाजीपुर में है और उन्होंने अपना सेन्टर आज़मगढ़, वाराणसी और प्रयागराज चयनित किया था लेकिन जब प्रवेश पत्र आया तो उसको देखकर उनके अंदर मायूसी छा गयी। सेन्टर इटावा भेज दिया गया। तत्कालीन परिस्थितियों को देखकर अभिषेक को समझ नहीं आ रहा कि वह 600 किमी दूर परीक्षा देने कैसे जाएंगे, जबकि पूरे प्रदेश कोरोना कि स्थिति भयावह है और 9 अगस्त को रविवार है, उस दिन सरकारी लॉकडाउन घोषित है और पूरे प्रदेश में लॉकडाउन की कठोर शर्तें लागू रहती हैं। अनिमेष कहते है कि कोरोना को देखते हुए अभी वह मानसिक रूप से परीक्षा देने के लिए तैयार नहीं है हालांकि यह परीक्षा उनके लिए उनके कैरियर का सवाल था लेकिन अब वो परीक्षा न देने का मन बना चुके है। इसका कारण एक यह भी है कि उनको यह पूरी यात्रा बस से ही करनी पड़ेगी, पहले गाजीपुर से प्रयागराज फिर प्रयागराज से इटावा। इसलिए अब वह परीक्षा छोड़ने के मूड में हैं।

कुछ ऐसी ही स्थिति अन्य परीक्षार्थियों के साथ भी है। भदोही के रहने वाले नीरज (बदला हुआ नाम) बताते है कि उन्होंने सेन्टर चयनित विकल्प में पहला प्रयागराज और दूसरा वाराणसी भरा था लेकिन सेन्टर परीक्षा आयोजक की तरफ से उनकी मनमर्जी का दिया गया है, सेन्टर गौतमबुद्ध नगर दिया गया है जोकि उनके घर से लगभग 800 किमी दूर है। घर की परिस्थितियों को देखकर नीरज पहले से ही परेशान थे उन्होंने बीएड करके जल्दी ही नौकरी लेने का मन बनाया था लेकिन प्रवेश पत्र देखकर अब उनको यह सपना अधूरा लगने लगा है। नीरज कोरोना को देखते हुए इतनी लंबी यात्रा करने को तैयार नहीं है और अब वह भी यह परीक्षा छोड़ रहे हैं।

यूपी बीएड प्रवेश परीक्षा की समन्वयक और लखनऊ विश्वविद्यालय में अध्यापक प्रोफेसर अमिता बाजपेई कहती हैं कि परीक्षार्थियों को कोविड के समय अधिक दिक्कत ना हो इसलिए शासन ने यह परीक्षा अब 73 जिलों में कराने का फैसला किया है, पहले यह परीक्षा 16 जिलों में होनी थी। परीक्षा केंद्रों के सवाल पर उन्होंने कहा कि अधिकतर अभ्यर्थियों को उनका पहली च्वाइस या फिर दूसरी या तीसरी च्वाइस देने की कोशिश की गई है। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि सभी के लिए ऐसा संभव नहीं था, इसलिए कुछ अभ्यर्थी ऐसे हो सकते हैं जिनको उनके च्वाइस का परीक्षा केंद्र ना मिला हो। उन्होंने कहा कि कोविड को देखते हुए संपूर्ण परीक्षा केंद्र को सैनेटाइज किया जाएगा और इसके लिए अलग से प्रत्येक केंद्र को 10 हजार रूपये बजट देने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग को देखते हुए ही सीट प्लान निर्धारित की। जाएंगी, ऐसा उन्होंने कहा। वहीं परीक्षार्थियों को सैनेटाइजर, पानी का बॉटल और रूमाल जैसे मूलभूत चीजें लाने की सलाह दी गई है। उन्होंने सरकार से भी अपील की है कि बीएड परीक्षा को देखते हुए इस सप्ताह की शनिवार और रविवार की लॉकडाउन में छूट दिया जाए और ढाबे, होटल, ट्रांसपोर्ट सुविधाओं को चलाया जाए ताकि परीक्षार्थी आसानी से परीक्षा केंद्र पहुंच सकें।

यह तो बात रही बीएड प्रवेश परीक्षा की अब बात करते है अन्य परीक्षाओं की जिसमें 8 अगस्त को मदन मोहन मालवीय यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, गोरखपुर और 16 अगस्त को खंड शिक्षा अधिकारी, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जानी है। जहाँ अन्य विश्वविद्यालय इस वर्ष मेरिट के आधार पर प्रवेश ले रहे हैं वही मदन मोहन मालवीय विश्वविद्यालय छात्रों का टेस्ट लेकर प्रवेश सुनिश्चित कर रहा है लेकिन कोरोना काल के चलते यह छात्रों के लिए एक बड़ा सवाल है कि आखिर वो अपने घर से इतनी दूर की यात्रा कैसे करे, क्या वो सुरक्षित रहेंगे? मदन मोहन मालवीय विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा देने जा रहे अमेठी निवासी छात्र का कहना है कि उनका सेन्टर प्रयागराज भेजा गया है, एक तरफ तो कोरोना का डर सता रहा है दूसरी तरफ भविष्य की चिंता हो रही है। ऐसे में वो इस दुविधा में है कि प्रयागराज में रोजाना कोरोना के लगभग 200 मरीज सामने आ रहे है, ऐसी स्थिति में क्या वो सुरक्षित रहेंगे?

खंड शिक्षा अधिकारी के अभ्यर्थियों की स्थिति सबसे विकट है, इस परीक्षा में लगभग 5 लाख अभ्यर्थी शामिल होंगे। इन अभ्यर्थियों में कुछ ऐसे भी अभ्यर्थी हैं जो कोरोना पॉजिटिव हैं और कुछ अभ्यर्थी होम आइसोलेशन में हैं। मनोज कुमार मिश्रा खंड शिक्षा अधिकारी परीक्षा के परीक्षार्थी हैं लेकिन दुर्भाग्यवश वो कोरोना पॉजिटिव है और होम आइसोलेशन में है। इसी तरह अभिषेक कुमार वैश्य, बिरज कुमार पांडेय कोरोना पॉजिटिव हैं और होम आइसोलेशन में हैं। ऐसी स्थिति में उनके भविष्य के ऊपर खतरा मंडरा रहा है। सरकार को इन सब परिस्थितियों का भी आकलन करना चाहिए जिससे किसी भी अभ्यर्थी का भविष्य संकट में न पड़ जाए।

परीक्षार्थियों ने कोरोना के समय हुए अन्य परीक्षाओं का उदाहरण देकर सरकार से अनुरोध किया है कि वह अपने इस निर्णय पर पुनः विचार कर छात्रों की सुरक्षा को सुनिश्चित करे। परीक्षार्थी अभी हाल में ही केरल में हुए KEAM प्रवेश परीक्षा का उदाहरण देकर सरकार को स्थिति से आगाह करवाना चाहते हैं। इस प्रवेश परीक्षा के बाद वहाँ के 30 परीक्षार्थी कोरोना की चपेट में आ गए थे। इसी तरह छात्र कर्नाटक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (KCET) का उदाहरण भी देते है जहाँ छात्रों एवं उनके अभिभावकों की जबरजस्त भीड़ थी यही नहीं KCET में 60 कोरोना पॉजिटिव परीक्षार्थियों ने भी बैठ कर परीक्षा दी थी.

इस संबंध में कई पूर्व अधिकारियों एवं अधिवक्ताओं ने प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर परीक्षा रद्द करने या अभ्यर्थियों को नजदीकी परीक्षा केंद्र को एलॉट करने की मांग की है। पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिखकर खंड शिक्षा अधिकारी की परीक्षा को स्थागित करने की मांग की है।

इसी तरह बीएड प्रवेश परीक्षा के संबंध में हाईकोर्ट में अधिवक्ता और समाजसेवी विमलेश निगम ने प्रवेश परीक्षा समिति सहित प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर परीक्षा रद्द करने या अभ्यर्थियों को नजदीकी परीक्षा केंद्र को एलॉट करने की मांग की है। सरकार और परीक्षा समिति को यह समझना चाहिए की बात सिर्फ लगभग 10 लाख अभ्यर्थियों की नहीं है, बल्कि यह ऐसी परिस्थिति है जिसमें अगर एक भी परीक्षा केंद्र पर कोई एक संक्रमित हो गया तो संक्रमण कड़ी को तोड़ना मुश्किल होगा। इसलिए सरकार को परीक्षार्थियों के भविष्य को ध्यान में रख कर ही फैसला लेना चाहिए।



द फ्रीडम स्टॉफ
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One thought on “उत्तर प्रदेश में कोरोना की भयावह स्थिति के बावजूद भी परीक्षाओं की झड़ी, अभ्यर्थी हुए परेशान

  1. बहुत ही अच्छा लिखा हैं आप ने भाई,
    कोरोना के इस भयंकर महामारी मे छात्रों के साथ मजाक किया जा रहा हैं।

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