नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ और हरियाणा में बसपा के दूर जाने के बाद कांग्रेस अन्य राज्यों में गठबंधन को लेकर सतर्क और सक्रिय हो गई है। पार्टी ने राज्य प्रभारियों को बुलाकर क्षेत्रीय दलों के साथ तालमेल की संभावनाओं को तलाशने और बातचीत शुरू करने को कहा है। सोमवार को एके एंटनी के नेतृत्व में कांग्रेस एलायंस कमेटी की पहली बैठक हुई, जिसमें सभी प्रभारियों ने शिरकत की। बसपा के साथ दो राज्यों में बातचीत न बनने और मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना की रणनीति पर विचार के बाद इस बैठक को अहम माना जा रहा है। कांग्रेस प्रभारी उन्हीं सहयोगियों से बातचीत को आगे बढ़ाएंगे जो संसद के अंदर और बाहर कांग्रेस के समर्थन में खड़े रहे हैं।
वरिष्ठ नेताओं ने प्रभारियों को निर्देश दिए
राज्य के प्रभारियों को जमीनी स्तर पर गठबंधन करने वाले दल की राज्य में पैठ और बीते चुनाव में वोट प्रतिशत आदि के साथ समझौता होने पर सीट बंटवारे की संभावित संख्या आदि के साथ अगली बैठक में बुलाया गया है। वहीं राज्यों के एक छोटे ग्रुप और संगठनों से भी तालमेल की संभावना तलाशी जा रही है जो स्थानीय स्तर पर किसी वर्ग यो जाति पर पकड़ रखते हैं। बैठक में राज्यों में तालमेल के अलावा राफेल सौदे को लेकर पार्टी के रुख को बनाए रखने पर भी वरिष्ठ नेताओं ने प्रभारियों को निर्देश दिए।
कोई भी नीतिगत फैसला नहीं
हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अमेठी और संगठन के महासचिव अशोक गहलोत के मुंबई में होने के कारण बैठक में कोई भी नीतिगत फैसला नहीं हो सका है। बैठक में अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, जयराम रमेश के अलावा तेलंगाना के प्रभारी केसी कुंतिया, झारखंड प्रभारी आरपीएन सिंह, छत्तीसगढ प्रभारी पीएल पूनिया, मध्यप्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया आदि मौजूद थे।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक दो अक्तूबर को महाराष्ट्र के वर्धा में होगी। गांधी जयंती के मौके पर होने वाली बैठक पूरी तरह महात्मा गांधी को समर्पित होगी। पार्टी के शीर्ष नेता इन दिनों कार्यसमिति का एजेंडा तय करने में जुटे हैं। जानकारी के मुताबिक पार्टी गांधी की नीति पर चलकर मोदी सरकार के खिलाफ कार्यक्रम तय करेगी। 2019 को ध्यान में रखकर पार्टी कुछ अहम फैसले लेगी।