नज़रिया

गौतम गंभीर आपका जलेबी खाना हल्का नहीं बल्कि गंभीर कार्य है- रवीश कुमार

माननीय गौतम गंभीर जी, मैं आपके समर्थन में खड़ा हूँ। वो भी गंभीरता से। मैं पहला शख़्स हूँ जिसने किसी हल्के काम का इतनी गंभीरता से समर्थन किया है। सिर्फ़ इसलिए कि आपने जिस तरह से गंभीरता को परिभाषित किया है उससे आज सारे हल्के अपराध बोध से मुक्त हो गए। आपका जलेबी खाना हल्का […]

नज़रिया

बार-बार अखंडता को चुनौती क्यों?- सूर्य प्रकाश

भारत के संविधान में एकता, अखंडता की बात कही गयी है। भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जहाँ पर संविधान ही सर्वोच्च है। 1950 के पूर्व के रोड़ो को पार करते हुए भारतीय संविधान निर्माताओं ने धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद, न्याय, स्वतंत्रता, बन्धुत्व, एकता, अखंडता जैसे सिद्धान्तों के साथ एक सर्वोच्च संविधान के जरिये मजबूत लोकतंत्र और संघवाद […]

नज़रिया

जाऊंगा ख़ाली हाथ मगर, यह दर्द साथ ही जाएगा- शहीद अशफाकुल्लाह खां

काकोरी के शहीद अशफाकुल्लाह खां भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी सेनानी और ‘हसरत’ उपनाम से उर्दू के एक अज़ीम शायर थे। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर शाहजहांपुर में जन्मे अशफाक ने किशोरावस्था में अपने ही शहर के क्रांतिकारी शायर राम प्रसाद बिस्मिल के व्यक्तित्व और विचारों से प्रभावित होकर अपना जीवन वतन की […]

नज़रिया

रावण की व्यथा: लंबे इतिहास में मैं अकेला अपराधी नहीं

सभी भारतवासियों को दशहरे की शुभकामनाएं।आज का दिन प्रभु राम के हाथों मेरी पराजय और मृत्यु का दिन है। यह मेरे लिए उत्सव का दिन है क्योंकि एक योद्धा के लिए विजय और पराजय से ज्यादा बड़ी बात उसका पराक्रम है। मुझे गर्व है कि अपने जीवन के अंतिम युद्ध में मैं एक योद्धा की […]

बैंका का एन पी ए 1 लाख 40 हज़ार करोड़ बढ़ा, बैंकर और ग्रामीण डाक सेवक हड़ताल पर
नज़रिया

आर्थिक रुप से फ़ेल सरकार अपनी राजनीतिक सफ़लताओं में है मस्त – रवीश कुमार

भारत के निर्यात सेक्टर में पिछले चार साल(2014-18) में औसत वृद्धि दर कितनी रही है? 0.2 प्रतिशत। 2010 से 2014 के बीच विश्व निर्यात प्रति वर्ष 5.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रहाथा तब भारत का निर्यात प्रति वर्ष 9.2 प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रहा था। वहां से घट कर हम 0.2 प्रतिशत की […]

बैंका का एन पी ए 1 लाख 40 हज़ार करोड़ बढ़ा, बैंकर और ग्रामीण डाक सेवक हड़ताल पर
नज़रिया

क्या सरकारी कर्मचारियों की संख्या कम करना शानदार उपलब्धि है- रवीश कुमार

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की ख़बर है कि मंगलवार को गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह की बैठक हुई थी। इसमें BSNL और MTNL जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को पटरी पर लाने के उपायों पर विचार किया गया। अब स्पेक्ट्रम बेचकर पैसा कमाने के सरकार के दिन लद गए हैं। अब इसकी संभावना […]

नज़रिया

प्रस्तावित राष्ट्रीय शिक्षा नीति: क्या जरूरतें और क्या प्रारूप- स्वाति श्रीवास्तव

डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री, रमेश पोखरियाल निशंक और मानव संसाधन राज्यमंत्री संजय शामराव धोत्रे के सामने प्रस्तुत किया। इसके बाद इस नीति में उल्लिखित द्विभाषा और त्रिभाषा फॉर्मुले को लेकर कुछ विवाद भी उत्पन्न हुआ। इसके बाद केंद्र सरकार ने स्पष्टीकरण दिया […]

नज़रिया

प्रशासनिक सुधार: जरूरत और बदलाव

देश में प्रशासनिक सुधारों की चर्चा समय-समय पर होती ही रहती है तथा इस दिशा में जब भी कोई बड़ी कार्रवाई होती है तो चर्चा का बाज़ार गर्म हो जाता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कड़े कदम उठाते हुए 600 अधिकारियों पर कार्रवाई की है। इनमें से 200 अधिकारी […]

बैंका का एन पी ए 1 लाख 40 हज़ार करोड़ बढ़ा, बैंकर और ग्रामीण डाक सेवक हड़ताल पर
नज़रिया

तीन तलाक़ पर आपने जो भी राय बनाई है, वह राय कहां से पाई है – रवीश कुमार

“अनुच्छेद 25 सभी संवैधानिक अदालतों से अपेक्षा करता है वे पर्सनल लॉ को संरक्षण प्रदान करें न कि उनमें कमियां निकालें। पर्सनल लॉ के मामले में दखलंदाज़ी न्यायिक परीक्षण के दायरे के बाहर की चीज़ है। “ हिन्दी में यह पंक्ति अंग्रेज़ी में लिखी उस पंक्ति का अनुवाद है जिसे चीफ जस्टिस केहर और जस्टिस […]

नज़रिया

उत्तर प्रदेश में पांच करोड़ यूकेलिप्टिस के पौधों से धरती की कोख सोखने की तैयारी

भारत इस समय गंभीर जल संकट से जूझ रहा है। साफ पानी न मिलने के कारण हर साल दो लाख लोग जान गवां रहे हैं। देश के करीब 60 लाख लोग पानी की गंभीर किल्लत का सामना कर रहे हैं। वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि बढ़ती आबादी के कारण […]