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मुलायम सिंह यादव- अखाड़े से संसद तक का सफर

सहज व्यक्तित्व के धनी मुलायम सिंह का कद किसी भी पद से बड़ा रहा। उनकी विराट राजनीतिक छवि और जुदा अंदाज समाजवादियों के लिए भगवान तो आमजनों के लिए सियासत के महायोद्धा से कम नहीं था। अन्यथा यों ही किसी सियासी शख्सियत को यों ही मसीहा मान पूजा नहीं जाता। आजादी के बाद की पीढ़ी […]

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नारी शक्ति के आदर और सम्मान का उत्सव है नवरात्रि -राजेन्द्र वैश्य

शारदीय नवरात्रों में चैत्र नवरात्रों की तरह एक बार फिर हम स्त्री शक्ति के नौ रूपों की पूजा करेंगे। देवी दुर्गा के रूप शक्ति, स्त्रीत्व और समृद्धि के प्रतीक है। इन स्वरूपों की पूजा करते हुए स्त्री रूपी इन देवियों के भव्य रूप हमारी चेतना में उपस्थित रहते हैं। इन्हें शक्ति रूप इसलिए कहा जाता […]

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मोदी राज बना दे रहा नमकहरामों, देशद्रोहियों, भ्रष्ट, निकम्मों, सत्तालोलुप और भयाकुलों का भारत देश!

नरेंद्र मोदी और अमित शाह को सुध नहीं है। यदि होती तो इनके दिमाग में इतना तो कौंधता कि वे भारत को क्या बना दे रहे हैं? उन्हें क्या पता है कि आठ सालों में उन्होंने हिंदुओं की राजनीति को कैसा निर्लज्ज, चरित्रहीन बना दिया है? भारत का कितना चारित्रिक पतन किया है? वे देश […]

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तमिलनाडु को देश बनाने की मांग कश्मीर से भी पुरानी, ब्राह्मणवाद के विरोध की आग ने द्रविड़नाडु को जन्म दिया

अमित शाह ने कहा था कि अगर आप एकता चाहते हो तो आपको हिंदी सीखनी होगी। हमारी पार्टी के फाउंडर पेरियार ने अपनी मौत तक थानी नाडु (अलग देश) की मांग की, लेकिन DMK ने लोकतंत्र और राष्ट्रीय अखंडता की खातिर उस मांग को दरकिनार कर दिया। इसलिए मैं बहुत ही विनम्रता के साथ कह […]

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पुलिस सुधार और खाली पद: भारत में पुलिस सुधार की आवश्यकता

भारत में पुलिस व्यवस्था पर प्रति व्यक्ति खर्च साल 2020 में 1039 रु. तक हो गया, जो 2010 में 445 रु. ही था। यानी 10 साल में दोगुनी बढ़ोतरी के बाद अब भी देश में 841 लोगों पर एक पुलिसकर्मी आता है, खर्च दोगुना होने के बावजूद 21% पुलिसकर्मियों के पद खाली हैं,महिला पुलिसकर्मियों की […]

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भोजन की बर्बादी संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है- राजेन्द्र वैश्य

भारतीय संस्कृति न केवल आध्यात्मिक समृद्धता लिए हुए हैं, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्वों के प्रति भी सहिष्णु है। उसकी एक बानगी भोजन को लेकर तय आदर्श संहिता से मिलती है। हमारी संस्कृति में अन्न को देवता की संज्ञा दी गई है। वहीं मां अन्नपूर्णा को उसकी अधिष्ठाता देवी। भारतीय संस्कृति थाली में जूठन छोडऩे को असंस्कार […]

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एक देश एक चुनाव

चुनाव प्रक्रिया किसी भी लोकतांत्रिक देश की मुख्य पहचान होती है, यह लोकतंत्र को जीवंत रूप प्रदान करती है तथा देश की उन्नति में अपनी भागीदारी को भी सुनिश्चित करती है। हमारा भारत देश एक ऐसा लोकतांत्रिक देश है जिसमें लगभग हर वर्ष चुनाव की प्रक्रिया चलती रहती है। अलग-अलग राज्यों के चुनाव अलग–अलग समय […]

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UP में सामाजिक न्याय बनाम हिंदुत्व की लड़ाई में आगे निकला भगवा, महंगाई, बेरोजगारी, छुट्टा मवेशी के मुद्दे हवा हुए

साढ़े तीन दशक बाद उत्तर प्रदेश में नई इबारत लिखी गई है। वर्ष 1989 के बाद यह पहली बार होगा जब प्रदेश में किसी पार्टी की सत्ता में लगातार दूसरी बार वापसी हुई है। भाजपा गठबंधन 268 सीटों पर आगे है। समाजवादी पार्टी ने 130 सीटों पर बढ़त बनायी हुई है। सत्तर से ज़्यादा सीटों […]

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शार्क टैंक शो: सास-बहू-साजिश से स्टार्टअप और उद्यमिता की ओर रूझान – संकर्षण शुक्ला

भारत का युवा एक तरफ शिकायत करता है कि सरकार उसे रोजगार न दे रही है तो दूसरी तरफ अपनी सामूहिक शक्ति से बिगबॉस जैसे शोज को ट्विटर पर ट्रेंड भी कराता है। जिस मेधा का उपयोग वो किसी कौशल को अर्जित करने में लगा सकता था उस मेधा को उसने सोशल मीडिया के तिकड़म […]

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यूक्रेन संकट: रूस के साथ क्यों खड़े हैं ये देश

दूसरे विश्व युद्ध के बाद और शीत युद्ध के दौरान दुनिया दो खेमों में बँट गई थी. एक का नेतृत्व अमेरिका कर रहा था और दूसरे का सोवियत संघ. दूसरे विश्व युद्ध के चार साल बाद नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन यानी नेटो 1949 में बना था. इसे बनाने वाले अमेरिका, कनाडा और अन्य पश्चिमी देश […]