देश के कोने-कोने से जिस तरह नन्ही बच्चियों और किशोरियों के साथ सामूहिक बलात्कार और उनकी नृशंस हत्याओं की खबरें आ रही हैं, उससे पूरा देश सदमे में है। कभी आपने सोचा है कि आज देश में बलात्कार के लिए फांसी सहित कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान होने के बावज़ूद स्थिति में कोई बदलाव […]
नज़रिया
मेरे पास कोई विकल्प नहीं है, मैं वैसे भी मारा जाऊँगा”
21 मई, 1991 को शाम के आठ बजे थे. कांग्रेस की बुज़ुर्ग नेता मारगाथम चंद्रशेखर मद्रास के मीनाबक्कम हवाई अड्डे पर राजीव गांधी के आने का इंतज़ार कर रही थीं। थोड़ी देर पहले जब राजीव गांधी विशाखापट्टनम से मद्रास के लिए तैयार हो रहे थे तो पायलट कैप्टन चंदोक ने पाया कि विमान की संचार […]
कभी ऐसी थी हमारी पत्रकारिता – ध्रुव गुप्त
देश की मीडिया अभी अपनी विश्वसनीयता के सबसे बड़े संकट से गुज़र रही है। अपवादों को छोड़ दें तो मीडिया की प्रतिबद्धता अब देश के आमजन के प्रति नहीं, राजनीतिक सत्ता और उससे जुड़े लोगों के प्रति है। कुछ मामलों में यह प्रतिबद्धता बेशर्मी की तमाम हदें पार करने लगी है। वह इलेक्ट्रोनिक मीडिया हो […]
यह रूह से रूह का रिश्ता है.. महसूस कीजिए
76 साल की उम्र में ‘दिल तो बच्चा है जी’ लिखने वाले गुलजार उर्फ सम्पूर्ण सिंह कालरा की जिंदगी की कहानी फिल्मों से बिल्कुल अलग है। अपनी नज्मों से हमारे अहसासों को मखमल सा हल्का कर देने वाले सम्पूर्ण सिंह कालरा उर्फ़ गुलज़ार का जन्म 18 अगस्त 1936 में दीना, झेलम जिला, पंजाब, ब्रिटिश भारत […]
मेरी तरह खुदा का भी खाना ख़राब है – हरिशंकर परसाई
कार्ल मार्क्स ने अगर कहा है –धर्म मनुष्यों के लिए अफीम है ,तो कुछ यों ही नहीं कह दिया है| धर्म की अफीम के नशे में भूले लोगों का शोषण हम देख रहे हैं ।हम गिरोह -के -गिरोह, संगठन-के-संगठन ‘अफ़ीमचियों’ के कारनामे देखते रहते हैं ।मगर का यह आखिरी वाक्य है ।इसके पहले उन्होंने धर्म […]
प्रधानमंत्री व्हाट्स अप यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर भी हैं -रवीश कुमार
मैं अब भी कर्नाटक चुनावों में नेहरू और भगत सिंह को लेकर बोले गए झूठ से ज़्यादा परेशान हूं। प्रधानमंत्री ने सही बात बताने पर सुधार की बात कही थी। सारे तथ्य बताने के बाद भी उन्होंने अभी तक सुधार नहीं किया है। मेरे लिए येदियुरप्पा प्रकरण से भी यह गंभीर मामला है। चुनाव तो […]
कूड़ा बीनने वाली महिला बनी सिटिज़न जर्नलिस्ट!
कूड़ा बीनने वालों को कूड़ा बिनता देख लोगबाग ऐसे नाक सिकोड़ते है मानो कूड़ा बीनने वाले इंसान नही बल्कि कूड़े का ढेर हो। उनके बग़ल से गुजरने पे लोगबाग ऐसा बच के निकलते है मानो उनके स्पर्श करते ही इनका शरीर किसी क्षतिग्रस्त इमारत के मानिंद भरभरा के गिर जाएगा। ऐसे ही अनुभवों से दिन-प्रतिदिन […]
मंत्री को एंकर बनाने का वक़्त अब आ गया है- रवीश कुमार
येदियुरप्पा ने किसानों की जितनी बात की है उतनी तो चार साल में देश के कृषि मंत्री ने नहीं की होगी। उन्हें ही कृषि मंत्री बना देना चाहिए और न्यूज एंकरों को बीजेपी का महासचिव। एक एंकर बोल रहा था कि येदियुरप्पा इस्तीफा देंगे। नरेंद्र मोदी कभी इस तरह की राजनीति को मंज़ूरी नहीं देते। […]
आखिर क्यों शिक्षा व्यवस्था में बदलाव बेहद जरूरी- स्वाति श्रीवास्तव
शिक्षक समाज की सर्वाधिक संवदेनशील इकाई है। शिक्षक अपना काम ठीक तरह से नहीं करते- यह आरोप तो सर्वत्र लगाया जाता है। लेकिन यह विचार कोई नहीं करता कि उसे पढ़ाने क्यों नहीं दिया जाता ? आए दिन गैर-शैक्षिक कार्यों में इस्तेमाल करता प्रशासन, शिक्षकों की शैक्षिक सोच को, शैक्षिक कार्यक्रमों को पूरी तरह ध्वस्त […]
जम्मू कश्मीर पर सरकार के नये फैसले पर पूर्व IPS अधिकारी के सवाल
क्या जम्मू और कश्मीर में आतंक का रास्ता अख्तियार कर अपने ही निर्दोष देशवासियों और सैनिकों का क़त्लेआम मचाने वाले आतंकी सचमुच मुसलमान हैं ? वे किसी भी अर्थ में मुसलमान नहीं हो सकते। फिर माहे रमज़ान का बहाना लेकर उन्हें एक महीने तक सैन्य कार्रवाई से छूट देने का क्या अर्थ है ? अगर […]