अनैतिक सामाजिक व्यवस्थाओं और धार्मिक संस्थाओं के कुप्रबंधन के कारण समाज द्वारा प्रताड़ित किए जा रहे दरिद्र और साधनहीन लोगों के प्रति हमदर्दी स्वामी जी में अकस्मात ही जागृत नहीं हुई थी। बचपन से ही उनका स्वभाव दयालू था। घर-घर जाकर मांगने वाले भिखारियों की दशा देखकर उनकी आंखों में आंसुओं की झड़ी लग जाती […]
नज़रिया
असम, त्रिपुरा, मणिपुर, मेघालय में क्यों हो रहा है नागरिकता संशोधन बिल का विरोध
मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन बिल को लोक सभा में पास करा लिया है। इसके प्रावधान के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में सताए गए वैसे हिन्दू, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारत में छह साल रहने के बाद नागरिकता दी जा सकती है जो 31 दिसंबर 2014 के पहले भारत आ गए थे। […]
10 प्रतिशत आरक्षण में हिन्दू सवर्ण, ईसाई और मुसलमान भी हैं – रवीश
आरक्षण सिर्फ ग़रीब सवर्णों के लिए नहीं है। जैसा कि मीडिया में चलाया जा रहा है। यह आर्थिक रूप से कमज़ोर तबके को दिया जा रहा है। जिसमें हिन्दू सवर्ण, मुसलमान और ईसाई शामिल हैं। इसके मसौदे से यही बात ज़ाहिर होती है। यही बात सामाजिक न्याय राज्य मंत्री विजय सांपला ने भी कही है। […]
भाषा कारण है तो किशोरचंद्र ही नहीं मोदी-शाह,अविनाश अनगिनत लोगों पर रासुका लग जाएगा
मणिपुर के पत्रकार किशोरचंद्र वांग्खेम को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत एक साल की सज़ा हुई है। NSA का एक सलाहकार बोर्ड होता है। 11 दिसंबर को राज्य सरकार ने पत्रकार के खिलाफ लगाए गए आरोपों को इसके सामने पेश किया। 13 दिसंबर को बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी और NSA के तहत गिरफ्तारी […]
जब तुम सांत्वना देते हो स्वयं को, तो तुम संतुष्ट नहीं होते- ओशो
वह व्यक्ति जो स्वस्थ, निर्भार, निर्बोझ, ताजा, युवा, कुंआरा अनुभव करता है, वही समझ पाएगा कि संतोष क्या है। अन्यथा तो तुम कभी न समझ पाओगे कि संतोष क्या होता है-यह केवल एक शब्द बना रहेगा। संतोष का अर्थ हैः जो कुछ है सुंदर है; यह अनुभूति कि जो कुछ भी है श्रेष्ठतम है, इससे […]
पूर्व IPS अधिकारी का कश्मीर मुद्दे पर सवाल, कितनी लाशों से गुज़रने के बाद संवाद का रास्ता खुलेगा
कश्मीर की समस्या अब नियंत्रण से बाहर है। हम कितना भी शोर करें कि कश्मीर देश का अटूट हिस्सा है, सच्चाई यह है कि हम नैतिक और भावनात्मक रूप से कश्मीर को खो चुके हैं। हमारी सेना अब वहां जमीन के एक टुकड़े भर के लिए लड़ रही है। घाटी को इस हालत में पहुंचाने […]
डरना ज़रूरी है – ध्रुव गुप्त
जिसके निज़ाम में अपने से अलग विचारधारा के लोगों को देश के सांसदों और मंत्रियों द्वारा पाकिस्तान भेजने या समुद्र में डुबो देने की धमकियां दी जाती हों, जहां आस्था के नाम पर संविधान और सर्वोच्च न्यायालय तक का मखौल उड़ाया जाता हो, जहां गाय की जान इंसानों की जान से ज्यादा कीमती हो, जहां […]
वरिष्ठ पत्रकार का PM मोदी से सवाल,मोबाइल कंपनियां 120 हो गई हैं तो रोज़गार कितनों को मिला
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया है कि 2014 के पहले मोबाइल बनाने वाली सिर्फ 2 कंपनियां थीं। आज मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों की संख्या 120 हो गई हैं। अगर 120 कंपनियां हो गई हैं तो फिर निर्यात होने लगा होगा या फिर आयात घट गया होगा। सब कुछ नहीं तो बहुत कुछ भारत में बनने लगा […]
कालेजों में शिक्षक नहीं हैं तो क्यू ना छत्तीसगढ़ के छात्र कालेज जाना ही बंद कर दें- रवीश कुमार
घोषणापत्र देखकर भले जनता वोट न करती हो मगर चुनावों के समय इसे ठीक से देखा जाना चाहिए। दो चार बड़ी हेडलाइन खोज कर हम लोग भी घोषणापत्र को किनारे लगा देते हैं। राजनीतिक दल कुछ तो समय लगाते होंगे, बात-विचार करते होंगे कि क्या इसमें रखा जा रहा है और क्या इससे निकाला जा […]
NOTA For The Option To Improve Politics – Katyayani
Whenever its demanded in country for the criticism of any sort of crime related people to participate in the election, every-time this demand comes to a painful halt. Indian politics still allow the people with the charges of crime to participate in the national elections. At least people whose crimes are proven should not be […]