आशीष सिंह विक्रम: उत्तर प्रदेश के रायबरेली में निजी चिकित्सक मनमर्जी से काम कर रहे हैं। उन्हें ना सरकार का डर है ना इंसान होने के नाते भगवान का। सीएमओ कार्यलय भी उनकी मनमर्जी को सेंटिग गेंटिग से मान्यता दे देता है कि आप भी कमाओ और इधर भी लाओ। लूट का आलम यह है कि अनाप-शनाप फीस लेने के बावजूद आपको क्या मर्ज है यह नहीं बताएंगे। फर्जी रिपोर्ट देकर ऑपरेशन की जुगत में रहेंगे जिससे ज्याद पैसा लूटा जा सके। हिम्मत देखिये डॉक्टर की, जब रिपोर्टर ने उनका ही पक्ष पूछने के लिए फोन किया तो उन्होंने कोर्ट ले जाने की धमकी दी। यह सारे सबूत भी द फ्रीडम न्यूज के पास हैं।
मामला कुछ यूं है कि एक महिला अपने इलाज के लिए रायबरेली में डॉ सुमेधा रस्तोगी के पास जाती है और सुमेधा रस्तोगी उनको अल्ट्रासाउंड करवाने को कहती हैं वह भी स्वास्तिक डॉयगनोस्ट से। महिला स्वास्तिक डॉयगनोस्ट गयी और अपना अल्ट्रासाउंड करवाया और स्वास्तिक डॉयगनोस्ट की संचालिका डॉ शैलजा गुप्ता जोकि एक MBBS डिग्रीधारक हैं और उन्होंने पता नहीं किस नीयत से एक गलत रिपोर्ट दे दी जिसमे महिला का यूट्रस सामान्य से बहुत बड़ा दिखाया गया। इसके बाद महिला समुेधा रस्तोगी के पास दोबारा गयी रिपोर्ट लेकर तब डॉ सुमेधा ने कहा इसका तो ऑपरेशन करना पड़ेगा और हो सकता है यूट्रस निकालना भी पड़े, आप रविवार को 6 हजार रूपये लेकर आ जाना। यह सुनकर महिला जोकि नवविवाहिता थी और कोई संतान नहीं थी और परिजनों के पैरों तल जमीन खिसक गयी और महिला अवसाद में चली गयी।
इसके 2 तीन बाद महिला के परिजनों ने डॉ सुमेधा के पास ना जाकर लखनऊ के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में दोबारा मामले की चिकित्तसीय सलाह ली। वहां की वरिष्ठ महिला चिकित्सक ने डॉ शैल्जा की रिपोर्ट पर हैरानी जताते हुए कहा कि ऐसा कोई कैसे लिख सकता है और उन्होने दोबारा महिला का अल्ट्रासाउंड कराने को कहा और आश्यर्यजनक रुप से जब महिला के दोबारा अल्ट्रासाउंड की जब रिपोर्ट आयी तब उसमें सब कुछ सामान्य था। यह सुनकर महिला के परिजनों को आश्यर्य हुआ कि कोई ड़ॉक्टर चंद पैसों के लिए कितना गिर सकती है जबकि वह खुद एक महिला है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
द फ्रीडम न्यूज ने KGMU के पूर्व रेडियोलॉजी के निदेशक से इस बारे में बात की और दोनो रिपोर्टों को दिखाया तो उन्होंने कहा कि यह मानवीय भूल नहीं हो सकती है क्योंकि दोनो रिपोर्टों में जमीन आसमान का अंतर है और इन लोगों को किसने अनुमति दी लोगों की जान से खेलेने की। वह आगे कहते हैं कि ऐसे लोगों ने ड़ॉक्टर पेशे का नाम खराब कर रखा है। उन्होंने कहा यदि महिला डॉ शैल्जा की रिपोर्ट को ही सही मान लेती तो जीवन भर का एक दर्द साथ होता।
CMO ऑफिस में शिकायत
इस लूटमार की और लोगों की जान से खेलने के चल रहे इस गंदे खेल के बारे में महिला के पति ने एक लिखित शिकायत रायबरेली मुख्य चिकित्साधिकारी से की। जिस पर 1 महीना से ज्यादा समय बीतने पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। सूत्रों के मुताबित इस बार भी इस मामले में लीपापोती करके संभवत: लेनदेन भी मामले को रफा दफा कर दिया। हमारे संवावदाता ने कई बार मुख्य चिकित्साधिकारी नवीन चंद्रा से बात करने की कोशिश लेकिन उन्होने फोन नहीं उठाया। अब सवाल उठता है कि सरकार ने जिसे चिकित्सकों की निरंकुशता पर रोक लगाने और आम जन को लूटमार से बचाने के लिए नियुक्त कर रखा है जब वह ही लापरवाह है तो न्याय की उम्मीद किससे लोग करें।
मुख्यमंत्री के समक्ष उठायेंगे मामले को
महिला को परिजनों ने मामले को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य के समक्ष उठाने की बात कही है। खैर इस मामले में प्रशासन क्या करता है यह भविष्य के गर्त में है लेकिन ऐसे लापरवाह और लालची डॉक्टर समाज के नाम पर कलंक सरीखे हैं जिनकी वजह से लोगों की सेवा निस्वार्थ भाव से करने वाले डॉक्टर भी इनकी वजह से बदनाम होते हैं।