उत्तर प्रदेश

Bus Politics: MLA अदिति सिंह को कांग्रेस ने किया निलंबित, 10 साल के बाद पिता को कांग्रेस ने किया था बाहर,

ब्यूरो रिपोर्ट, रायबरेली: कांग्रेस ने रायबरेली विधायक अदिति सिंह को पार्टी से निलंबित कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली के रायबरेली सदर क्षेत्र की इस युवा विधायक ने कांग्रेस के प्रवासी कामगारों की मदद करने के लिए बसों का बेड़ा लगाने के मामले में पार्टी पर ही उंगली उठाई थी। साथ ही सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ की थी। यह कार्रवाई उनके खिलाफ पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते हुई है।


विधायक पद से अयोग्य घोषित करने का अनुरोध
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और रायबरेली प्रभारी के एल शर्मा ने कहा कि अदिति सिंह लंबे समय से कांग्रेस विरोधी गतिविधियों में शामिल रही हैं। पिछले साल पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए अदिति विधानसभा के विशेष सत्र में शामिल होने पहुंची थीं। इसके बाद उन्हें पार्टी की तरफ से कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था। कश्मीर से धारा 370 हटाने के मसले पर भी अदिति ने कांग्रेस से अलग अपना पक्ष रखा था। कोरोना वॉरियर्स के लिए पीएम मोदी की अपील पर भी उन्होंने दीये जलाये थे। विधानसभा में उनके खिलाफ एक नोटिस दिया गया था, जो लंबित है। उन्होंने कहा कि वह जवाब देने से बच रही हैं। पार्टी ने उनके विधायक पद से अयोग्य घोषित करने का भी अनुरोध किया है।

ट्वीट करके प्रियंका गांधी पर उठाया था सवाल
अदिति सिंह ने ट्वीट में लिखा था कि आपदा के वक्त ऐसी निम्न सियासत की क्या जरूरत। एक हजार बसों की सूची भेजी, उसमें भी आधी से ज्यादा बसों का फर्जीवाड़ा, 297 कबाड़ बसें, 98 ऑटो रिक्शा व एबुंलेंस जैसी गाड़ियां, 68 वाहन बिना कागजात के, ये कैसा क्रूर मजाक है। अगर बसें थीं तो राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र में क्यूं नहीं लगाई।


10 साल के बाद पिता को भी निकाला था कांग्रेस ने
कांग्रेस ने विधायक अदिति सिंह के पिता अखिलेश सिंह को भी 10 साल पार्टी में रहने के बाद निकाल दिया था। उस समय अखिलेश सिंह के ऊपर आपराधिक मामलों के चलते कार्रवाई हुई थी।1993 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने अखिलेश सिंह को 2003 में कांग्रेस ने पार्टी से निकाल दिया था। उसके बाद वह निर्दलीय चुनाव लड़ते व जीतते रहे। फिर इस घटना के 13 साल बाद 2016 में उनकी बेटी अदिति सिंह कांग्रेस में शामिल हुईं। उन्हें कांग्रेस ने 2017 के विधानसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया और चुनाव जीत कर विधायक चुनी गईं। लेकिन अब 4 साल बाद ही उन्हें भी पार्टी से निकाल दिया गया है।


द फ्रीडम स्टॉफ
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