Special Report: पांचवें चरण में सबसे हॉट सीट अमेठी और रायबरेली हैं। अमेठी में 54.40% और रायबरेली में 58.04 फीसदी मतदान हुआ है। बीजेपी ने अमेठी के साथ-साथ रायबरेली सीट भी जीतने का दावा किया है। लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के तूफानी चुनावी प्रचार के बाद बीजेपी के दावों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रायबरेली में मार्जिन की लड़ाई है लेकिन अमेठी में कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी है। ऐसा भी हो सकता है कि कांग्रेस अमेठी में जीत जाए।
दरअसल 2019 में अमेठी हार चुकी कांग्रेस ने इस बार आखिरी समय तक अमेठी और रायबरेली सीट पर उम्मीदवार की घोषणा नहीं की थी। चर्चा जोरों पर थी कि राहुल गांधी अमेठी और प्रियंका रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं क्योंकि रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। लेकिन आखिरी समय में कांग्रेस ने राहुल गांधी को अमेठी से ना उतार कर रायबरेली से टिकट दे दिया था। जबकि अमेठी लोकससीट से गांधी परिवार के बेहद करीबी रहे किशोरी लाल शर्मा को उम्मीदवार घोषित कर दिया था। केएल शर्मा करीब 30 सालों से अमेठी की राजनीति में एक्टिव हैं। गांधी परिवार से जुड़ा कोई भी काम केएल शर्मा के जरिये होता है। इसके चलते केएल शर्मा कांग्रेस के सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। यही वजह है कि गांधी परिवार के प्रति अमेठी की जनता का लगाव और केएल शर्मा की अमेठी के अंदर पकड़ से माना जा रहा है कि कांग्रेस अपने गढ़ अमेठी में वापसी कर सकती है।
स्थानीय लोगों की माने तो अमेठी में जिस तरह से माहौल देखने को मिला है, उससे लग रहा है कि कांग्रेस इस बार अमेठी में जीत दर्ज कर सकती है। रायबरेली में तो इस बार केवल मार्जिन की लड़ाई है। बातचीत के दौरान स्थानीय मतदाता शुभम कहते हैं कि कांग्रेस उम्मीदवार केएल शर्मा की जमीनी नेता के रूप में पहचान कांग्रेस के लिए एक बड़ी ताकत है। केएल शर्मा की जितनी अमेठी में पकड़ है, उतनी प्रधानमंत्री की भी पकड़ नहीं है। मैंने रिपोर्टिंग के दौरान देखा है कि अमेठी और रायबरेली में जो भी काम होता था, वो केएल शर्मा ही किया करते थे।
केएल शर्मा अमेठी के चप्पे-चप्पे से वाकिफ है। वो अमेठी के एक-एक आदमी को पहचानते हैं। केएल शर्मा को कहीं भी अपनी पहचान नहीं बतानी पड़ी कि हम यहां से कांग्रेस उम्मीदवार है। शर्मा गांधी परिवार के बेहद गरीबी है और गांधी परिवार से अमेठी की जनता का लगाव है। अमेठी की जनता ने 2019 में राहुल गांधी को हरवा दिया था। इस बार लोग अपनी गलती महसूस कर रहे हैं। इसलिए ऐसा लग रहा है कि केएल शर्मा चुनाव जीत सकते हैं। मार्जिन कुछ भी हो सकता है। इसके साथ ही प्रमोद गोस्वामी ने यह भी कहा कि पांचवें चरण में इंडिया गठबंधन के पास खोने के लिए कुछ नहीं था क्योंकि 2019 के चुनाव में बीजेपी ने 14 में से 13 सीटें जीत रखी थी। इस बार बीजेपी की कम से कम 6 से 7 सीटें घट सकती है।
अमेठी से राहुल गांधी के चुनाव ना लड़ने पर बीजेपी ने जमकर निशाना भी साधा, लेकिन बाद में राहुल और प्रियंका गांधी के चुनाव प्रचार करने के बाद कांग्रेस अमेठी में लड़ाई में आ गई थी। हाल ये था कि अमेठी की जनता भी दबी जुबान कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन करने लगी थी। लोग कुछ भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं थे। जानकारों की मानें तो बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी को कांग्रेस कैंडिडेट केएल शर्मा की कड़ी टक्कर मिल सकती है। अमेठी में किसकी जीत होगी और किसकी हार, अभी यह कह पाना जल्दबाजी होगी क्योंकि कांग्रेस ने रायबरेली के साथ-साथ अमेठी में भी अच्छी लड़ाई लड़ी है। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन गृहमंत्री अमित शाह ने बीजेपी कैंडिडेट स्मृति ईरानी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कांग्रेस कैंडिडेट केएल शर्मा के लिए रोड शो भी निकाला था।