नई दिल्ली : कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुआ आत्मघाती हमला अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला है। इस आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हुए हैं, जबकि 25 से ज्यादा जवान घायल हुए हैं। हालांकि शहीद और घायल जवानों की संख्या की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। शहीद जवानों की संख्या और बढ़ सकती है।
इससे पहले वर्ष 2016 में आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर के ही उड़ी सेक्टर में भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर बड़ा हमला किया था। उरी हमले में भी 18 सैनिक शहीद हुए थे। उड़ी से पहले दो जनवरी 2015 को भी आतंकियों ने पठानकोट एयरबेस पर बड़ा हमला किया था, जिसमें सात सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे, जबकि 37 घायल हो गए थे। इस हमले ने एक बार फिर उरी और पठानकोट हमलों की यादें ताजा कर दी।
सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों की नींद उड़ा दी
पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए इस आत्मघाती हमले ने देशभर में सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों की नींद उड़ा दी है। इस हमले के बाद जम्मू-कश्मीर समेत देश के अन्य हिस्सों में अलर्ट घोषित कर दिया गया है। मालूम हो कि भारतीय खुफिया एजेंसियां पिछले कुछ महीनों से आतंकी हमलों को लेकर लगातार अलर्ट जारी कर रही हैं। खुफिया एजेंसियों के इनपुट पर सुरक्षा एजेंसियों ने गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 2019) से ठीक पहले जम्मू-कश्मीर व दिल्ली समेत देश के अलग-अलग हिस्सों से 10 से ज्यादा संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया था।
अर्धसैनिक बलों ने हर आतंकी वारदात का मुंहतोड़ जवाब दिया
हालांकि उड़ी और पठानकोट हमलों के बाद देश के भीतर सेना और अर्धसैनिक बलों ने हर आतंकी वारदात का मुंहतोड़ जवाब दिया है। यही वजह है कि इन हमलों के बाद आतंकियों के हर मंसूबे नाकाम हुए हैं। सुरक्षा बलों ने केवल जम्मू-कश्मीर में ही 2018 में तकरीबन 230 आतंकियों को मारने में सफलता प्राप्त की है। सुरक्षा बलों की इस कार्यवाही का ही नतीजा है कि आतंकी घटनाओं के लिए बेहद संवेदनशील माने जाने वाले जम्मू-कश्मीर के बारामुला जिले को पिछले महीने आतंकवाद मुक्त जिला घोषित किया गया था।