कुछ माह पूर्व मैंने भूतपूर्व लोकसवेक और निवर्तमान कैबिनेट मंत्री अरविंद शर्मा पर एक लेख लिखा था और ये पुख्ता उम्मीद की थी कि उन्हें सरकार आगामी विधानसभा चुनाव के बाद महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देगी। कल जब उप्र सरकार का नया मंत्रिमंडल आकार ले रहा था तो उन्होंने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली।
अरविंद कुमार शर्मा एनसीआर क्षेत्र के दादरी के वोटर हैं, ग्रेटर नोएडा के निवासी हैं और भारतीय जनता पार्टी में होने के बाद से ही लगातार पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जनसंपर्क अभियान के जरिए इन्होंने यहां की समस्याओं को जाना है और समझा है और किसान आंदोलन को समाप्त कराने मे इनका बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विकास के लिए इनके व्यापक योजना हैं जिसका क्रियान्वयन आने वाले दिनों में इस पूरे इलाके में देखने को मिलेगा.
एक कुशल लोकसेवक के रूप में तो उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया ही, साथ ही साथ वाइब्रेंट गुजरात के रूप में एक सफल निवेश सम्मेलन का भी आयोजन किया। अरविंद जी जितने कुशाग्र प्रशासनिक अधिकारी है
जन्मस्थान पूर्वांचल और कर्मस्थली पश्चिम होने से वो एक ब्रिज सरीखे है जो पूर्व को पश्चिम से जोड़ेगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक जनप्रतिनिधि होने के नाते उन्हें इस क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं का समाधान भी करना होगा। चूंकि यह क्षेत्र किसान आंदोलन का केंद्र रहा था और किसानों की समस्याएं अभी भी इस क्षेत्र की बड़ी चुनौती है।
इसलिये अरविंद जी को इस दिशा में सबसे अधिक काम करना होगा। खासकर किसानों को फसल का उचित मूल्य दिलाने के सम्बंध में और गन्ना जैसी नकदी फसल का समयबद्ध भुगतान करने के संबंध में। इसके अलावा कृषि मंडियों का किसानों के साथ समन्वय भी बिठाना होगा। गन्ना की अधिक बोवाई की वजह से इस क्षेत्र में भूजल का स्तर भी गिर रहा है। ऐसे में कृषि और जल स्तर को संतुलित करने के लिए संधारणीय कृषि का भी रोडमैप बनाना होगा।
यह मालूम है सबको कि प्रधानमंत्री कार्यालय में एडिशनल सेक्रेटरी रहते हुए एके शर्मा ने पूरे देश में इंफ्रास्ट्रक्चर को नई दिशा देने के लिए रेलवे, सड़क और बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स को अपनी निगरानी में लेकर एक नया आयाम दिया। जिसका लाभ अब उत्तर प्रदेश में खास तौर पर NCR और पश्चिमी यूपी में पीएम मोदी के विजन के अनुसार मिलेगा।
अरविंद जी को उद्योग जगत के साथ समन्वय स्थापित करने वाले एक सफल रणनीतिकार के रूप में भी जाना जाता है। इसलिए उन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश को भी एक उद्योग हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में सार्थक कदम उठाने होंगे।
इसके अलावा उन्हें एमएसएमई सचिव के रूप में भी कार्य करने का एक लंबा और सफल अनुभव है। इस क्षेत्र में एमएसएमई के लिए भी अपार संभावनाएं है। मसलन यहां पीतल के बर्तन, पकी मिट्टी के बर्तन, माचिस की तीली, कागज आदि उद्योग के लिए एक स्वस्थ पारितंत्र है। इन्हीं उद्योग धंधों को एक जिला, एक उत्पाद के साथ समेकित करके इस क्षेत्र के विकास का एक समुचित ढांचा खींचना होगा।
संकर्षण शुक्ला