नई दिल्ली: शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देव तीर्थ ने मंगलवार को कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा भगवान हनुमान को दलित बताए जाने और उसके बाद पार्टी के विभिन्न नेताओं द्वारा उनकी जाति और धर्म को लेकर की गई खींचतान से देश में बेहद अशोभनीय तथा हिन्दू मतावलंबियों के हृदय को कष्ट पहुंचाने वाला वातावरण उत्पन्न हो गया है।
नेताओं को हिदायत देनी चाहिए
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं को इस संबंध में पार्टी की स्थिति स्पष्ट करते हुए अन्य नेताओं को हिदायत देनी चाहिए तथा देवी-देवताओं का अनादर करने वाली बयानबाजी पर तुरंत रोक लगवानी चाहिए। बता दें कि आदित्यनाथ ने अपने भाषण में हनुमान जी को कथित रूप से दलित बताया था जबकि पार्टी के अल्पसंख्यक नेता बुक्कल नवाब ने भगवान हनुमान को मुसलमान बताया। वहीं धर्मार्थ कार्य, संस्कृति एवं अल्पसंख्यक मामलों के कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण ने उन्हें जाट बताया था।
‘हंसना और रोना’ दोनों एक साथ नहीं चल सकते
देवतीर्थ ने कहा कि सबसे दुखद यह है कि विवादित बयानों से रामभक्त हनुमान का अपमान करने वाले लोग उस राजनीतिक दल से जुड़े हैं जो स्वयं को हिन्दू अस्मिता का रक्षक बताता है। उन्होंने कहा, ‘‘एक ओर पार्टी राममंदिर पर शीर्ष अदालत में जल्दी सुनवाई की मांग कर रही है। वहीं दूसरी ओर उनके प्रिय बजरंगबली का अपमान कर रही है। इस प्रकार ‘हंसना और रोना’ दोनों एक साथ नहीं चल सकते।’’
संसद के मौजूदा सत्र में ही विधयेक लाए
राम मंदिर निर्माण में भाजपा की भूमिका से जुड़े एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, ‘‘यदि भाजपा सचमुच राम मंदिर बनाना चाहती है तो संसद के मौजूदा सत्र में ही विधयेक लाए। लेकिन, वह याद रखे कि विधेयक किसी को नीचा दिखाने के लिए नहीं बल्कि अयोध्या में भगवान राम की महिमा पुन: स्थापित करने वाला हो।’’