ढाका: बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन, तोड़फोड़ और सेना के रवैये के बाद शेख हसीना को देश से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। बांग्लादेश में नाटकीय तौर पर बदली परिस्थिति के पीछे खुफिया प्रतिष्ठान पाकिस्तान की एजेंसी आईएसआई और चीन का हाथ मान रहे हैं। जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश की स्टूडेंट विंग इस्लामी छात्र शिबिर (आईसीएस) ने इन दोनों देशों की मदद से आंदोलन को हिंसक बनाने में अहम भूमिका निभाई। जमात-ए-इस्लामी अपने भारत विरोधी रुख के लिए जानी जाती रही है। उसके छात्र विंग ने सड़क पर आंदोलन को भड़का कर हिंसक बनाने और हसीना की जगह पाकिस्तान और चीन के पक्ष की सरकार लाने के लिए काम किया है।
खुफिया सूचनाओं में आईसीएस सदस्यों की कई महीने पहले की योजना की ओर इशारा किया गया है। इसका मकसद पूरे देश में व्यापक हिंसा भड़काना था। एक अधिकारी ने खुलासा किया कि आईएसआई समर्थित जमात-ए-इस्लामी को शेख हसीना सरकार को अस्थिर करने के लिए इस साल की शुरुआत में बडी़ रकम दी गई थी। इस फंडिंग का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान में सक्रिय चीनी संस्थाओं से आया था। शेख हसीना सरकार का भारत के हितों के प्रति संवेदनशील होना चीन को पसंद नहीं आ रहा था। इस्लामी छात्र संगठन के लोग आम लोगों का समर्थन पाने में भी कामयाब रहे और आखिरकार देश में तख्तापलट हो गया।
इस्लामी छात्र शिबिर (आईसीएस) बांग्लादेश से सटे भारतीय क्षेत्रों में भी अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश करता रहा है। भारत विरोधी गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी के चलते आईसीएस लंबे समय से भारतीय खुफिया एजेंसियों की निगरानी में है। आईसीएस, आईएसआई समर्थित संगठन, हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (हूजी) के साथ भी काम करता है, जो बांग्लादेश से संबंद्ध पाकिस्तान स्थित एक संगठन है। आईसीएस सदस्यों के अफगानिस्तान और पाकिस्तान में ट्रेनिंग लेने के साक्ष्य भी खुफिया एजेंसियों को मिल चुके हैं।