आईएएस-आईपीएस बनने का सपना और उसे पूरा करने के लिए दिन-रात को एक कर देने की लड़ाई ऐसे खत्म हो जाएगी, किसी ने नहीं सोचा होगा. देश की सबसे टफ परीक्षा मानी जाने वाली UPSC को पास करने के लिए, जहां लाखों छात्र अपना सबकुछ दांव पर लगा देते हैं. तो वहीं कोचिंग के मालिक पैसों और बिजनेस की खातिर एस्पिरेंट्स के सपनों खेलते हैं. शुक्रवार को कुछ ऐसा ही हुआ. राव आईएस कोचिंग सेंटर की बेसमेंट में बने लाईब्रेरी में अचानक बारिश की पानी भर जाने से उसमें डूबकर तीन छात्रों की मौत हो गई, लेकिन इसमें गलती किसकी है, कोचिंग सेंटर की, प्रशासन की या दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की? बताते हैं आपको.
दरअसल, राव आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट अवैध चल रहे लाइब्रेरी की शिकायत 1 महीने पहले 26 जून को ही एमसीडी से कर दी गई थी. बार-बार रिमाइंडर भी भेजी गई, पर एमसीडी की उदासीनता तो देखिए हादसे वाले दिन भी शिकायत अंडर प्रोसेस जा रहा था. सिविल सर्विस एस्पिरेंट किशोर सिंह कुशवाह ने कोचिंग सेंटर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. फिर 15 जुलाई और 22 जुलाई को निगम को रिमाइंडर भेजे, लेकिन नगर निगम ने कोई एक्शन नहीं लिया.
नगर निगम को शिकायत
कुशवाह ने नगर निगम के लिखा था, ‘बिना किसी अनुमति और बिना किसी एनओसी के वे (राऊ) बेसमेंट में क्लास चला रहे हैं; वे टेस्ट क्लास (प्रैक्टिस सेट) ले रहे हैं, इसमें छात्रों के साथ कमचारियों का भी जीवन प्रभावित हो रहा है. बड़ी दुर्घटना हो सकती है….बड़े यूपीएससी कोचिंग संस्थान छात्रों की जान जोखिम में डालकर अवैध जगहों पर कक्षाएं चला रहे हैं.’
रिमाइंडर भी देते रहे
कुशवाह सिर्फ कंप्लेन करने के बाद ही नहीं रुके, चूंकि सीविल सेवा की तैयारी वह भी कर रहे थे, तो उनके सरकारी कार्य-व्यवस्ता की जानकारी थी. उन्होंने दो बार निगम को रिमांडर भी भेजा. 15 जुलाई को दोबारा लिखा, ‘सर, यह बहुत महत्वपूर्ण और जरूरी मुद्दा है, सख्त कार्रवाई करें.’ छात्रों के डूबने से पांच दिन पहले उन्होंने फिर से रिमाइंडर भेजा और लिखा, ‘सर कृपया कार्रवाई करें… यह छात्रों की सुरक्षा का मुद्दा है.’ फिर भी नगर निगम की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई. ऑनलाइन कंप्लेन पोर्टल पर करेंट स्टे्स “अंडर प्रोसेस” लिखा आ रहा है.
कोचिंग सेंट के आसपास के इलाकों का खास्ता हाल
दिल्ली खासकर करोल बाग और ओल्ड राजेंद्र नगर आईएएस-आईपीएस कोचिंग का सबसे बड़ा हब है. बेसमेंट में क्लास और लाइब्रेरी की कतार यहीं नहीं खत्म होती है. आप एक बार हो आइए, वहां से, दुर्गति देख रूह न कांप जाएं तो कहिएगा. राव आईएएस का तो सिर्फ नाम सामने आया है, कोचिंग वालों से लेकर प्राइवेट तक सभी बिना किसी क्लिएरेंस के छात्रओं के जीवन से खेलते हुए बेसमेंट में जर्जर मकानों में लाइब्रेरी चला रहे हैं. और हमारी सरकार और प्रशासन आंखें मूंदे हाथ पर हाथ धरी एक बड़े हादसे की इंतजार में रहती है.