उत्तर प्रदेश

हाथरस हादसा- न ऑक्सीजन न डॉक्टर, हाथरस हादसे ने खोली लचर स्वास्थ्य सेवाओं की पोल

हाथरस: उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ में अब तक 134 लोगों की मौत की पुष्टि प्रशासन ने कर दी है। प्रशासन की ओर से सत्संग के लिए 80 हजार लोगों की अनुमति दी थी, लेकिन करीब एक लाख से ज्यादा लोग जुटे थे। इतनी भीड़ के लिए मात्र 40 पुलिसकर्मी और दो एंबुलेंस तैनात की गई थी। फायर ब्रिगेड का कोई दस्ता नहीं था। हादसा होने के पौने तीन घंटे बाद अधिकारी मौके पर पहुंचे। लोगों ने किसी तरह से घायलों को अस्पताल पहुंचाया। यहां अस्पताल में पहुंचने के बाद लापरवाही दिखाई दी। इससे लोगों में गुस्सा दिखाई दिया।

हादसे के बाद जब घायलों को सिकंदराराऊ सीएचसी स्थित ट्रॉमा सेंटर लाया गया, तो यहां न पैरामेडिकल स्टाफ मिला और न ही चिकित्सक मिले। हाल ये था कि यहां पर ऑक्सीजन तक की व्यवस्था नहीं थी। लोगों का आरोप था कि यहां केवल एक बोतल चढ़ाने की व्यवस्था है। लोगों ने कहा कि न पंखे चल रहे हैं और न ही ऑक्सीजन मिल रही है। सीएचसी पहुंचे अफसरों को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा था।

हाथरस हादसे के बाद मंगलवार देर रात अलीगढ़ 38 शव पहुंचे। वहीं, आईजी जोन शलभ माथुर ने कहा कि इस घटना को लेकर सभी पहलुओं पर जांच कराई जाएगी। किस स्तर पर लापरवाही हुई है। किस स्तर से अनदेखी की गई है। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।

 

द फ्रीडम स्टॉफ
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