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गंभीर बीमारी होती तो केजरीवाल इतना चुनाव प्रचार कर पाते? कोर्ट ने सवाल पूछ खारिज कर दी अंतरिम जमानत याचिका

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि उनकी तरफ से किए गए ‘व्यापक चुनाव प्रचार दौरे’ यह साबित करते हैं कि वह किसी गंभीर या जानलेवा बीमारी से पीड़ित नहीं हैं जिसके चलते उन्हें अतिरिक्त जमानत मिल सके। स्पेशल जज कावेरी बावेजा की अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय, जिसने जमानत का विरोध किया था, से सहमति जताते हुए कहा कि मधुमेह, विशेष रूप से टाइप-2 मधुमेह, इतना गंभीर नहीं कहा जा सकता कि केजरीवाल को अपेक्षित राहत मिले।

हर बीमारी के आधार पर नहीं मिल सकती जमानत
अंतरिम जमानत की बजाय, अदालत ने जेल अधिकारियों को केजरीवाल का मेडिकल परीक्षण कराने का निर्देश दिया। साथ ही मुख्यमंत्री की हिरासत 19 जून तक बढ़ा दी। जज ने कहा कि जैसा कि बहस के दौरान उजागर किया गया, अरविंद केजरीवाल की तरफ से किए गए व्यापक चुनाव प्रचार दौरे और संबंधित बैठकें/कार्यक्रम इस बात का संकेत देते हैं कि वह किसी गंभीर या जानलेवा बीमारी से ग्रस्त नहीं दिखते हैं। इससे उन्हें धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 45 के प्रावधान के तहत लाभकारी प्रावधान का हकदार बनाया जा सके। पीएमएलए की धारा 45 के प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट के निर्णयों का हवाला देते हुए कि हर बीमारी के आधार पर आरोपी को जमानत पर रिहा करने का अधिकार नहीं होता। अदालत ने कहा कि बीमारी के आधार पर अंतरिम जमानत देने की शक्ति का प्रयोग ‘सावधानीपूर्वक और सजगता से किया जाना चाहिए।

केजरीवाल की याचिका की स्वीकार्यता के सवाल पर अदालत ने फैसला सुनाया कि आवेदन को ‘ईडी की ओर से दिए गए तर्कों के कारण स्वीकार्य नहीं माना जा सकता। ईडी के वकीलों ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट ही था जिसने सीएम को अंतरिम जमानत दी थी। मौजूदा अदालत सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई जमानत को आगे नहीं बढ़ा सकती। केजरीवाल की अंतरिम जमानत की याचिका के खिलाफ सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू और विशेष वकील जोहेब हुसैन ने आपत्तियां उठाई थीं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में केजरीवाल का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने दलील दी कि सीएम ने अंतरिम जमानत की अवधि का उपयोग चुनाव प्रचार के लिए किया है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल के पास घर पर केवल जांच के लिए समय था। एक सीनियर डॉक्टर ने उन्हें 25 मई को विभिन्न परीक्षण करवाने की सलाह दी थी। इसमें इकोकार्डियोग्राम और 72 घंटे का होल्टर टेस्ट शामिल है। इसे 5-7 दिनों में एक विशेष क्रम में किया जाना था।

हरिहरन ने संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए कहा कि यह हर भारतीय को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा की गारंटी देता है। यह किसी व्यक्ति को अपनी पसंद का इलाज चुनने का अधिकार भी उसी अधिकार का अभिन्न अंग है। उन्होंने केजरीवाल को मेडिकल जांच करवाने के लिए 3 से 7 जून तक अंतरिम जमानत देने का अनुरोध किया, ताकि वे 9 जून को सरेंडर कर सकें। ईडी के वकीलों ने दलील दी कि केजरीवाल के आचरण से यह साबित होता है कि उन्हें विशेष चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता नहीं है। जेल में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवा उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगी। उन्होंने कहा कि सीएम 10 मई से 1 जून तक अंतरिम जमानत अवधि के दौरान जरूरी टेस्ट करवा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं करने का फैसला किया।

द फ्रीडम स्टॉफ
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