पुणे: 2 करोड़ 44 लाख रुपए की पोर्शे कार, दिमाग की नसों तक उतरा शराब का नशा और 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार…। 18 मई 2024 की रात तकरीबन 2 बजे का वक्त रहा होगा। पुणे के कल्याणीनगर इलाके में लोग गहरी नींद के आगोश में थे। उसी दौरान ये कार बाइक सवार दो लोगों को पीछे से टक्कर मारती है। टक्कर भी इतनी जबरदस्त कि बाइक पर पीछे बैठी लड़की हवा में उछलते हुए कई फीट दूर जाकर गिरती है। बाइक चला रहा शख्स भी एक दूसरी कार से जा टकराता है। दोनों मौके पर ही दम तोड़े देते हैं। सड़क पर एक शोर मचता है और मौके पर मौजूद लोग कार को घेर लेते हैं।
कार चलाने वाला पकड़ा जाता है। तफ्तीश होती है, तो पता चलता कि कार को पुणे के एक नामी बिल्डर का नाबालिग बेटा चला रहा था। हादसे के वक्त वो पूरी तरह से शराब के नशे में धुत था। वहीं, मरने वालो में मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के अनीश अवधिया और जबलपुर की अश्विनी कोष्टा थीं। दोनों आईटी इंजीनियर थे और हादसे वाली रात एक पार्टी से लौट रहे थे। अब क्योंकि, कार को चलाने वाला आरोपी नाबालिग है, इसलिए उसे बहुत हल्की शर्तों पर जमानत मिल जाती है। इसके बाद सियासी हंगामा मचता है और आरोपी की जमानत रदद् कर दी जाती है।
इस मामले में अभी तफ्तीश चल ही रही थी कि सामने आता है आरोपी के परिवार का अंडरवर्ल्ड कनेक्शन। जी हां, चौंकिए मत। ऐसा हम नहीं, बल्कि सीबीआई की वो चार्जशीट कह रही है, जिसमें आरोपी नाबालिग के दादा का नाम है। चार्जशीट के मुताबिक, बात साल 2021 की है, जब आरोपी के दादा सुरेंद्र अग्रवाल का अपने भाई आरके अग्रवाल के साथ प्रॉपर्टी को लेकर विवाद चल रहा था। इस विवाद को निपटाने के लिए सुरेंद्र अग्रवाल ने अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन से मदद मांगी और बदले में उसे सुपारी भी दी। इसके बाद छोटा राजन के गुर्गों ने आरके अग्रवाल के दोस्त अजय भोसले पर फायरिंग की, जिसमें उनका ड्राइवर घायल हुआ।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट बताती है कि इस मामले में शुरुआत में पुणे के बंड गार्डन पुलिस थाने में केस दर्ज किया गया। सुरेंद्र अग्रवाल और छोटा राजन के ऊपर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगा। बताया जाता है कि सुरेंद्र अग्रवाल छोटा राजन के गुर्गे विजय पुरुषोत्तम साल्वी उर्फ विजय तांबट से मिलने के लिए बैंकॉक भी गए थे। आपको यहां बता दें कि फिलहाल सीबीआई ने छोटा राजन से जुड़े सभी मामलों को एक साथ मिला दिया है। वहीं, सुरेंद्र अग्रवाल का मामला 2021 से राजन के साथ-साथ चल रहा है।
सुरेंद्र अग्रवाल के मामले की तफ्तीश करने वाले अधिकारियों का आरोप है कि इस केस की शुरुआत में पुणे पुलिस की ओर से जानबूझकर गंभीर चूक करने के संकेत मिले हैं। इस मामले में छोटा राजन और उसके गुर्गों का सीधे तौर पर हाथ था। इसके बावजूद पुणे पुलिस ने केस में मकोका लागू नहीं किया। अधिकारियों के मुताबिक, सुरेंद्र अग्रवाल को चार्जशीट फाइल होने तक कभी गिरफ्तार ही नहीं किया गया। इसके अलावा एफआईआर भी आईपीसी की सामान्य धाराओं में दर्ज की गई। सुरेंद्र अग्रवाल फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।