आशीष सिंह विक्रम, रायबरेली: भ्रष्टाचार की ऐसी बानगी ना पहले देखी होगी ना आपने सुनी होगी। योगी सरकार के सुशासन और भ्रष्टाचार को रोकने के सारे दावे उस समय फेल होते दिखे जब रायबरेली के डलमऊ में नगर विकास मंत्रालय के बजट से नगर पंचायत डलमऊ द्वारा बनवायी गयी सड़क को रात के करीब 9 बजे 40-50 लोगो ने गुंडागर्दी करते हुए उखाड़ दिया। डलमऊ नगर पंचायत की अधिशाषी अधिकारी आरती श्रीवास्तव का कहना है कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है, सड़क उखाड़ने वाले लोगों पर मुकदमा किया जाएगा। जब डलमऊ के सभासदों और स्थानीय निवासियों को इस बारे में जानकारी हुई तो मौके पर जाकर इसका विरोध किया और स्थानीय पुलिस को सूचित किया तो पीसीआर वैन ने आकर काम को रोकवाया। जब सड़क तोड़ी जा रही थी तब वहां उपस्थित एक आदमी ने बताया कि मठ के स्वामी जी के इशारे पर सड़क को उखाड़ा जा रहा है और 2 महीने बाद फिर से सड़क बनवा देंगे। नीचे संलग्न वीडियो में बड़े मठ के लोगों को देखा जा सकता है।
यह है मामला
नगर पंचायत द्वारा वर्ष 2020-21 में लगभग 50 लाख रुपये की लागत वाली इस सड़क के ठीक सामने एक पेट्रोल पंप प्रस्तावित है और उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग के रोड्स एक्ट 2022 के मुताबिक पेट्रोल पंप से 300 मीटर दूरी तक तिराहा या चौराहा है तो लोक निर्माण विभाग के नियमानुसार उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग, रोड 2022 के नियम 3.2 के उपनियम 2 का उल्लंघन होगा और पेट्रोल पंप या ईधन स्टेशन को अनापत्ति पत्र नहीं दिया जा सकता है। नीचे के चित्र में देखा जा सकता है कि PWD विभाग ने इस पेट्रोल पंप को NOC देने से मना कर दिया है-
पेट्रोल पंप के लिए स्थानीय व्यापारी ने भूमि गाटा सं. 7376 को लीज पर लिया और 7376 के उत्तरी किनारे के ठीक सामने से एक सार्वजनिक रोड स्वामी बद्रीनारायण गिरि मार्ग जिसकी लगभग 1.5 किलोमीटर एंव चौड़ाई 4 मीटर है। इंटरलॉकिंग वाले इस मार्ग का निर्माण कई चरणों में नगर पंचायत डलमऊ द्वारा कराया गया है। यह महत्वपूर्ण रोड डलमऊ- फतेहपुर राज्यमार्ग से मलिन बस्ती से होते हुए डलमऊ कोतवाली, गंगा के कई घाटों एंव तहसील को जोड़ता है। इस रोड पर हर तरह के वाहन व पैदल राहगीरो का आवागमन रहता है। नीचे चित्र में नगर पंचायत डलमऊ द्वारा स्वीकृत कार्यादेश की प्रति को देखा जा सकता है-
क्यों तोड़ी सरकारी सड़क
प्रस्तावित पेट्रोल पंप के लिए जमीन श्री राधाकृष्ष संस्कृत महाविद्यालय,डलमऊ (बड़ा मठ) ने लीज पर दी है वह भी गैरकानूनी तरीके से उस समय भी स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया था कि ट्रस्ट की सम्पत्ति को व्यवसायिक उद्देश्य के लिए दिया जाना उचित नहीं है। पेट्रोल पंप के सामने से गुजरने वाला रास्ता भी बड़े मठ की सम्पत्ति का हिस्सा है लेकिन सड़क बनाते समय बड़ा मठ से नगर पंचायत ने स्वीकृति ली थी लेकिन जब पेट्रोल पंप की NOC देने से PWD ने मना किया तो बड़ा मठ के स्वामी जी ने सरकारी सड़क को उखाड़ने के पहले ना सोचा ना समझा कि यह सड़क ना सिर्फ नगर विकास मंत्रालय के बजट बल्कि देश में टैक्स देने वाले आम आदमी की गाढ़ी कमाई के हिस्से से निर्मित हुई है। बड़ा मठ के स्वामी जी की गैरकानूनी कृत्य पर नगर पंचायत क्या कदम उठाएगा यह देखने वाली बात है। हालांकि नगर पंचायत के सभासदों ने जिलाधिकारी रायबरेली और नगर विकास मंत्रालय के संबंधित अधिकारियों को इसकी सूचना दे दी है।