उत्तर प्रदेश

लोकसभा चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी ने श्मशान में बनाया ऑफिस, अर्थी पर बैठकर नामांकन करने

Brijesh Yadav, Gorakhpur: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की सड़कों पर मंगलवार की दोपहर एक विचित्र नजारा देखने को मिला जब अर्थी पर बैठकर एक शख्स नामांकन करने कलेक्ट्रेट पहुंचा। एमबीए की डिग्री हासिल करने के बावजूद कोई भी नौकरी जॉइन ना कर समाज सेवा में उतरने वाला या शख्स पिछले कई चुनाव लड़ चुका। जिसे लोग अर्थी बाबा उर्फ राजन यादव के नाम से जानते हैं। उन्होंने श्मशान घाट में अपना चुनावी ऑफिस बनाया है। हालांकि उनका पर्चा अवैध पाए जाने की वजह से खारिज हो गया।

गोरखपुर लोकसभा चुनाव को लेकर नामांकन की प्रक्रिया चल रही है। सातवें चरण में एक जून को होने वाले चुनाव में प्रत्याशी लाव-लश्कर के साथ अपना नामांकन कर रहे हैं। ऐसे में मंगलवार को एक प्रत्याशी अर्थी पर बैठकर नामांकन करने कलेक्टर पहुंचा तो लोग हतप्रभ होकर उसे देखने लगे। देखते ही देखते वहां भीड़ एकत्रित हो गई। लोग प्रत्याशी के इस अनोखे अंदाज को देखकर चर्चा कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि आखिर कोई कैसे अर्थी पर सवार होकर नामांकन करने आ सकता है।

वहीं प्रत्याशी राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा का कहना है कि आज की राजनीति बहुत गंदी हो चुकी है। ईमानदार और शुद्ध लोगों की कमी है। इसी को देखते हुए मैं मैदान में हूं। मैंने एमबीए भी किया हुआ, पढ़ा लिखा हूं जबकि वर्तमान में फिल्मों में नाचने गाने वाले लोग मैदान में हैं और जनता उन्हें चुन भी रही है। चुनाव जीत कर सदन में पहुंचने वाले ज्यादातर लोग भ्रष्ट हो चुके हैं, क्योंकि अब सदन का जनाजा निकल रहा है इसी जनाजे की अर्थी पर मैं सवार होकर नामांकन करने यहां पहुंचा हूं और यह संदेश देना चाहता हूं कि लोग भ्रष्ट नेताओं को न चुने।

आज भ्रष्टाचार चरम पर है सदन की गरिमा मर चुकी है। मरा हुआ स्थान शमशान घाट कहलाता है। यह अर्थी नहीं, आज की राजनीति का जनाजा है। शिक्षा हो या चिकित्सा सभी जगह आम लोग ठगे जा रहे हैं और गरीबों, दलितों और मजबूरों की सुनने वाला कोई नहीं। राजनीति का शुद्धिकरण हो सके इसलिए मैंने नामांकन किया है ताकि मैं यहां से चुनाव जीतूं और सदन में जाकर कुछ ऐसा करूं, जिससे लोगों में जागरूकता पैदा हो। मैं भगवान बुद्ध के शरण में जा चुका हूं, राजनीतिक लोगों को भी उन्हीं की शरण में आना चाहिए तभी लोगों को सद्बुद्धि मिलेगी और समाज के लिए ईमानदारी से कुछ कर सकेंगे।

द फ्रीडम स्टॉफ
पत्रकारिता के इस स्वरूप को लेकर हमारी सोच के रास्ते में सिर्फ जरूरी संसाधनों की अनुपलब्धता ही बाधा है। हमारी पाठकों से बस इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें, शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के सुझाव दें।
https://thefreedomsnews.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *