नज़रिया

पर्सन नहीं एक पर्सनालिटी थे पापा- आशुतोष

दादा के नाम से मशहूर पापा 12 अप्रैल 2022 को आकस्मिक समय हृदय गति रुकने के कारण का देहांत हो गया। संघर्ष और विनम्रता यही उनके जीवन का जीवन की पहचान थी।
शायद यही वजह थी कि उनके चले जाने पर पूरे डलमऊ क्षेत्र में शोक की लहर उम्र पड़ी। वही क्षेत्र के व्यापारियों ने अपनी प्रतिष्ठान बंद कर उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की। बड़े ,बूढ़े ,महिला, बच्चे जिसने भी इस खबर को सुना वह अपनी आंखों में आंसू आने से नहीं रोक सका। उनका संघर्ष और उनकी अनवरत मेहनत आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत है और मार्गदर्शन भी। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया की मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता है।हर कोई उन्हें प्यार से दादा कहता था। बहुत सारे उनके हमउम्र लोगों का मानना है दादा जितनी मेहनत करने वाला व्यक्ति न तो कोई उनके दौर का हुआ। और न ही आज की युवा पीढ़ी उतनी मेहनत कर सकती है। अपनी उम्र से कई गुना ज्यादा ऊर्जा के साथ मेहनत करते थे। शायद यही वजह कि उनके न रहने के इतने दिन बीत जाने के बावजूद अभी भी जो कोई यह खबर सुनता है वह आज हतप्रभ हो जाता है और उनकी आंखों में आंसू बहने लगते है।
नगर पंचायत डलमऊ के नगर अध्यक्ष बृजेश दत्त गौड़ ने कहा “दादा हमेशा हमारे बीच रहेंगे।”उनका व्यक्तित्व हमारे समाज के लिए प्रेरणा का काम करेगा।
पृथ्वी संरक्षण के संस्थापक राजेंद्र वैश्य ने कहा कि “दादा का जाना हम सभी के लिए कभी न भरने वाली क्षति है।” राम गोपाल वैश्य ने कहा” दादा जैसा कोई दूसरा दादा नहीं।”और हमारे सभी सम्मानित व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद करके उनको सच्ची श्रद्धांजलि दी। घनश्याम जयसवाल ने कहां उनका संघर्ष हम सभी व्यापारियों के प्रेरणा का काम करेगा। राजेंद्र दादा हम व्यापारियों के लिए गौरव थे। सपा नेता सोनू यादव ने बताया की “दादा हम सभी को छोड़ कर चले अभी भी यकीन नहीं हो रहा।जब भी मिलता उनसे कुछ न कुछ जरूर सिखता था।”
नेता कांग्रेस संजय श्रीवास्तव के शब्दों में दादा स्वयं में एक विनम्रता, व्यवहारिकता और संघर्ष के एक शोध संस्थान थे। बड़े भाई संदीप मिश्रा जी कहते है की आज भी यही महसूस होता है कि वो इस जगह बैठे है। क्षेत्र के समस्त व्यापारियों का हृदय से आभार जिन्होंने उनके शोक आपने प्रतिष्ठान बंद रखे थे।

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