प्रदेश में 8000 वर्गफीट जगह पर 400 कलाकारों का कार्यक्रम 3-डी मैपिंग के साथ बॉलीवुड के संगीतज्ञ शंकर-एहसान-लॉय के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत सारी सरकार मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर थिरके। इनके साथ लगभग पचास हजार लोगों की बैठने की व्यवस्था लाल परेड मैदान में की गई। सवाल यह उठता है कि क्या देश में अब संवेदना खत्म हो गई है। एक तरफ गुजरात के मोरबी में हुए हादसे में 150 के करीब जाने गई, जिसका विलाप पूरा देश कर रहा है। ऐसे में मध्यप्रदेश में यह मौत का जश्न क्यों? एक तरफ प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात में इतनी बड़ी घटना हो गई जिसका राष्ट्रीय शोक सा मन रहा हो। जहां पूरे देश में गुजरात में हुए इस हादसे के बाद दिवाली की जगमगाहट उतार दी हो वहीं इसके उलट मध्यप्रदेश के एक मंत्री छठ पूजा में व्यस्त रहे और पूरे शहर में बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाए हैं। ऐसे मामलों के बाद त्योहार सादगी से भी मनाया जा सकता है। खास बात यह है कि गुजरात के मोरबी में भी आमजन छठ पूजा के लिए ही इकठ्ठा हुए थे, पर मध्यप्रदेश में ना स्थापना दिवस का जलसा रुका, ना ही मंत्री का जश्न।
गुजरात के मोरबी में हुए हादसे के बाद भी पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश मना रहा स्थापना उत्सव गुजरात के मोरबी में दो दिन पहले मच्छु नदी पर बने केबल ब्रिज पर हुए दर्दनाक हादसे के मृतकों के परिजनों के आंखों के आंसू अभी थमे भी नहीं थे कि मध्यप्रदेश में स्थापना दिवस के नाम पर भव्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है। मोरबी में हुए इस हादसे में अब तक 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 40 से अधिक लोग घायल बताये जा रहे हैं। मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार की यह कैसी मानवता है कि एक तरफ अपने पड़ोसी राज्य में मातम छाया हुआ है और मध्यप्रदेश इस मातम पर भी उत्सव मना रहा है। जबकि प्रदेश सरकार को इस घटना के बाद स्थापना दिवस समारोह को बिल्कुल साधारण तरीके से मनाना चाहिए था, लेकिन गुजरात की दर्दनाक घटना के आगे मध्यप्रदेश की राजनीति भारी पड़ती दिखाई दे रही है।
देश भर में हो रही चर्चा
गुजरात में हुए इस हादसे के बाद जिस धूमधाम के साथ मध्यप्रदेश में स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया जा रहा है, उसकी चर्चा न सिर्फ मध्यप्रदेश में बल्कि पूरे देश में हो रही है। लोगों के बीच में केवल इसी बात की चर्चा है कि मध्यप्रदेश की सरकार को 150 से अधिक लोगों के साथ हुए इस हादसे की कोई परवाह नहीं है। सरकार पूरी तरह से असंवेदनशील है और लोगों की मौत पर जश्न मना कर प्रदेश की जनता और वोटर्स को लुभाने का काम कर रही है।
बड़ा सवाल ऐसे आयोजन आखिर किसके लिये
प्रदेश सरकार हर वर्ष स्थापना दिवस पर करोड़ों रुपये खर्च कर भव्य आयोजन करती है। बताया जा रहा है कि इस आयोजन में लगभग 200 करोड़ खर्च किए गए हैं। यह आयोजन केवल सरकार अपने और अपने मंत्रियों और अधिकारियों के लिए करती है। पैसों का बंदरवाट इसी तरह के आयोजनों से होता है, यही वजह है कि शिवराज सरकार ने इतनी बड़ी घटना के बाद भी स्थापना दिवस समारोह को रद्द करने पर बिल्कुल भी विचार करना उचित नहीं समझा।