पिछले एक दशक में अमेरिका, फ्रांस और इजरायल जैसे देशों के साथ सैन्य संबंधों को मजबूती मिलने की वजह से यह सवाल उठता रहा है कि क्या भारत अपने पारंपरिक सैन्य आपूर्तिकर्ता मित्र राष्ट्र रूस के साथ धीरे-धीरे सैन्य खरीद घटा लेगा? वैसे भारत ने अमेरिका की भृकुटि तने होने के बावजूद जिस तरह एंटी मिसाइल सिस्टम एस-400 की खरीद रूस से की है उससे साफ है कि भारत सरकार अपने रणनीतिक हितों को लेकर कोई समझौता नहीं करने वाली।
इसके बावजूद जिन लोगों को कुछ संदेह है कि उन्हें अगले महीने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली शिखर बैठक से जबाव मिल जाएगा। यह बैठक दोनों देशों के सैन्य रिश्तों को भावी दिशा देने वाली साबित होने वाली है क्योंकि अपनी रणनीतिक जरूरतों को देखते हुए भारत रूस से कई तरह के नए सैन्य साजो-समान खरीदने की तैयारी कर रहा है।
आधिकारिक तौर पर अभी शिखर बैठक की घोषणा नहीं की गई है लेकिन दोनों तरफ के सूत्रों के मुताबिक छह दिसंबर, 2021 को नई दिल्ली में राष्ट्रपति पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी की सालाना बैठक के आयोजन की तैयारी है। इसके साथ ही दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों को मिलाकर गठित टू प्लस टू वार्ता भी होगी।
इसमें विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस के अपने समकक्षों क्रमश: सर्गेई लावरोव और सर्गेई सुयेगू से मिलेंगे। रूस और भारत के बीच सैन्य संबंधों के मजबूत होने के संकेत तभी मिल गए थे जब 26 अप्रैल, 2021 को वर्चुअल बैठक में मोदी और पुतिन ने यह फैसला किया था कि दोनों देशों के बीच बीच टू प्लस टू फ्रेमवर्क के तहत सहयोग की वार्ता होगी। अभी तक भारत क्वाड संगठन के सदस्यों यानी अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के साथ ही इस फ्रेमवर्क में बात करता है।
मोदी और पुतिन की बैठक को सफल बनाने की कोशिश दोनों तरफ से हो रही है ताकि इस बैठक के बाद कुछ अहम घोषणाएं की जाएं। इसमें से एक घोषणा वर्ष 2021-31 के लिए सैन्य-तकनीकी सहयोग की हो सकती है। यह एक तरह से अगले एक दशक के लिए सैन्य सहयोग का रोडमैप होगा। दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों के बीच लगातार बैठकों का दौर चल रहा है।
इसके अलावा दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच सहयोग को लेकर एक नए करार पर भी सहमति तकरीबन बन चुकी है। एक अन्य अहम समझौता एक दूसरे की सेनाओं को लाजिस्टिक्स मदद पहुंचाने को लेकर है। रूस से लिए जाने वाले हथियारों के उपकरणों का भारत में किस तरह से उत्पादन किया जाए, इसको लेकर भी एक समझौते पर वार्ता जारी है। इसकी राह में कुछ दिक्कतें हैं जिसे शीर्ष स्तर पर सुलझाए जाने की संभावना है।