प्रसून पांडेय, प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अयोध्या में बन रहे एयरपोर्ट के लिए लोगों की जमीन जबरन लेने और कम कीमत पर रजिस्ट्री करने के लिए मजबूर करने के आरोपों पर जिला प्रशासन से 29 तक जवाब तलब किया है। हाई कोर्ट ने प्रशासन को आदेश दिया है कि यदि याचियों की जमीनों का अधिग्रहण नहीं किया गया है तो बिना सहमति उनको जमीनें बेचने लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।
हाई कोर्ट ने अयोध्या के जिलाधिकारी के साथ संबधित एसडीएम व तहसील को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये तलब करते हुए उनसे पूछा है कि एयरपोर्ट बनाने के लिए किसानों से जमीन किस मानदंड अथवा दिशानिर्देश के तहत ली जा रही है और जमीन खरीदने की दर क्या तय की गई है तथा किसानों को भुगतान कैसे किया जा रहा है।
यह आदेश जस्टिस राजन रॉय व जस्टिस सौरभ लवानिया की पीठ ने पंचराम प्रजापति समेत 107 किसानों की ओर से दाखिल रिट याचिका पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग से 23 जून को सुनवाई करते हुए पारित किया। कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं की अयोध्या के धर्मदासपुर सहादत गांव में जमीनें व मकान हैं।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि जमीनें लेने के लिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 का भी पालन नहीं किया जा रहा है। याचियों की ओर से दलील दी गई कि जमीनों का अधिग्रहण अथवा खरीद किस प्रक्रिया के तहत की जाएगी, इसका कोई मानदंड ही तय नहीं है। जमीनों के खरीद की दर का भी कोई पता नहीं है। कहा गया कि जिला प्रशासन मनमानी पर उतारू है और याचियों पर अनुचित दर में जमीनें बेचने का दबाव डाला जा रहा है।
हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए, अयोध्या के जिलाधिकारी के साथ संबधित एसडीएम व तहसील को अगली सुनवाई के दौरान वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने को कहा है। साथ ही यह भी पूछा है कि याचियों की जमीनों का अधिग्रहण किया जा चुका है अथवा नहीं।