कोरोना वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक ने कहा है कि वो कोवैक्सिन के चौथे फेज का ट्रायल करेगी। कंपनी ने ये फैसला उस विवाद के बाद लिया है, जिसमें कोवीशील्ड को कोवैक्सिन से बेहतर बताया जा रहा था। कंपनी ने कहा कि हम कोवैक्सिन के तीसरे फेज के ट्रायल के नतीजे जुलाई में पब्लिश करेंगे। चौथा ट्रायल भी किया जाएगा, ताकि दुनिया में हमारी वैक्सीन के असर की असलियत सबके सामने आए।
आइए, सवाल-जवाब में समझते हैं चौथे फेज के ट्रायल की जरूरत और इस पूरे विवाद को…
कोवैक्सिन और कोवीशील्ड को लेकर नई रिपोर्ट में क्या कहा गया?
जनवरी से मई के बीच 515 हेल्थ केयर वर्कर्स को वैक्सीनेट किया गया। इनमें 452 को कोवीशील्ड और 90 को कोवैक्सिन लगाई गई। ये एक प्री-प्रिंट स्टडी थी। इसके डेटा में सामने आया कि Sars-CoV-2 यानी कोरोना फैलाने वाले वायरस के खिलाफ कोवीशील्ड की दो डोज के बाद कोवैक्सिन के मुकाबले ज्यादा एंटीबॉडीज पैदा हुईं। इस स्टडी को देश में मौजूद वैक्सीन का रियल-वर्ल्ड डेटा कहा जा रहा है।
बहस कहां और कैसे शुरू हुई?
भारत बायोटेक के बिजनेस डेवलपमेंट हेड डॉ. रैचेस एल्ला ने सोशल मीडिया पर इस स्टडी का विरोध किया। उन्होंने कहा कि इस स्टडी की भी अपनी सीमाएं हैं। ये वैज्ञानिक तथ्यों और आंकड़ों के आधार पर की गई स्टडी नहीं है।
इसके जवाब में स्टडी में शामिल डॉ. अवधेश कुमार सिंह ने कहा कि पूरे देश में फेज थ्री ट्रायल के नतीजे सामने आए बिना वैक्सीन लगाई जा रही है। हम भारत बायोटेक की कोशिशों के शुक्रगुजार हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि एक-दूसरे पर उंगली उठाई जाए। हम स्टडी के आंकड़े पब्लिश करेंगे।
कोवीशील्ड V/S कोवैक्सिन पर केंद्र का स्टैंड?
कोवैक्सिन और कोवीशील्ड का निर्माण अलग-अलग तरह से हुआ है और ऐसे में इनकी तुलना नहीं की जा सकती है।
चौथे फेज के ट्रायल पर भारत बायोटेक का क्या कहना है?
भारत बायोटेक ने कहा है कि तीसरे ट्रायल के नतीजों का डेटा जुलाई में पब्लिश किया जाएगा। पहले ये डेटा सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन को भेजा जाएगा। इसके बाद इसे एक्सपर्ट के पास रिव्यू के लिए भेजा जाएगा। फिर भारत बायोटेक फुल लाइसेंस के लिए अप्लाई करेगी।
अब तक वैक्सीन की ओवरऑल एफिकेसी यानी असर 78% है। हॉस्पिटलाइजेशन के खिलाफ ये एफिकेसी 100% है। इसके बाद चौथे फेज के ट्रायल किए जा सकेंगे, ताकि ये साफ किया जा सके कि कोवैक्सिन हर कठोर मानक पर खरी उतरती है।