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SC का केंद्र को निर्देश, कहा- सुनी जाए बेबस लोगों की आवाज, सोशल मीडिया पर न लगाएं रोक, डॉक्टर व नर्स का भी मुद्दा उठाया

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को कोरोना महामारी केंद्र द्वारा उठाए गए कदमों को लेकर सुनवाई की गई। मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 मई की तारीख निर्धारित की गई है। आज हुए सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र से टेस्टिंग, ऑक्सीजन व वैक्सीनेशन को लेकर उठाए गए कदमों से जुड़े सवाल तो किए ही साथ ही सोशल मीडिया पर दर्द बयां कर रहे लोगों व डॉक्टर व नर्स का भी मुद्दा उठाया। कोर्ट में दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन को लेकर अफरातफरी का सवाल किया गया जिसपर केंद्र ने जवाब दिया कि वहां ऑक्सीजन की सप्लाई की गई लेकिन उनके पास इतनी क्षमता ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से भी केंद्र के साथ सहयोगात्मक रवैया अपनाने को कहा। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के लोगों के लिए ऑक्सीजन और दवाइयां जुटाने के लिए मिल कर काम कीजिए। राजनीति चुनाव के समय होती है विपत्ति के समय नहीं।

केंद्र की ओर से जवाब देते हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘दिल्ली को 400 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दिया गया, पर इसे मेंटेन करने की क्षमता उनके पास नहीं है। एक और निर्माता ऑक्सीजन देना चाहता है लेकिन दिल्ली के पास क्षमता नहीं है इसे बढ़ाना होगा।’ कोर्ट ने कहा कि दिल्ली की क्षमता कम है ऐसा केंद्र को नहीं कहना चाहिए क्योंकि यह पूरे देश का प्रतिनिधित्व करती है इसलिए मदद की जानी चाहिए। यदि कुछ नहीं किया तो मौत का आंकड़ा बढ़ जाएगा। सॉलिसीटर जनरल ने कहा, ‘ दिल्ली को सप्लाई बढ़ाने के लिए कहीं और कमी करनी पड़ेगी। दिल्ली में कोविड से हो रही हर मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं।’ सॉलिसीटर जनरल ने कहा, ‘दिल्ली को ऑक्सीजन सप्लाई पर कोर्ट के आदेश को लेकर मैंने केंद्र से निर्देश लिया। आपने जो कहा है, उसका पालन किया जाएगा। SC ने केंद्र के इस रवैये की सराहना की।’ बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जिन कंपनियों के पास खाली टैंकर हैं उनसे लेने पर की बात कही थी।

सुनी जाए बेबस लोगों की आवाज, सोशल मीडिया पर न लगाएं रोक

कोर्ट ने कहा, ‘इन्फॉर्मेशन को आने से नहीं रोकना चाहिए, हमें लोगों की आवाज सुननी चाहिए।’ कोर्ट ने यह भी कहा कि पिछले 70 सालों में स्वास्थ्य क्षेत्र में कुछ नहीं हुआ है जो महामारी के कारण उत्पन्न हालात में अभी बहुत काम करने की ज़रूरत है। कोर्ट ने कहा, ‘बगैर ऑक्सीजन के छटपटा रही जनता को हम सुनना चाहते हैं।’ जस्टिस चंद्रचूड़ ने सोशल मीडिया पर पीड़ा का इजहार करने वाले यूजर्स का मुद्दा भी उठाया और कहा कि यदि लोग सोशल मीडिया के जरिए अपने हालात बयां कर रहे हैं उसपर कार्रवाई नहीं की जा सकती।

वैक्सीन की कीमत में अंतर क्यों, SC का सवाल

सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने ऑक्सीजन सप्लाई के आवंटन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार के पक्ष की हम समीक्षा करेंगे। ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर ऐसी व्यवस्था बने कि लोगों को पता चल सके कि ऑक्सीजन की सप्लाई कितनी की गई और कौन से अस्पताल में यह कितना है।’ सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से वैक्सीनेशन की प्रक्रिया को लेकर सवाल किया। कोर्ट ने पूछा कि वैक्सीन की कीमत में अंतर क्यों रखा गया और निरक्षर लोग जो कोविन ऐप इस्तेमाल नहीं कर सकते, वे वैक्सीनेशन के लिए कैसे पंजीकरण करवा सकते हैं?’

द फ्रीडम स्टॉफ
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