आज मेरी एक बहुत ही पुरानी प्रेमिका का जन्मदिन है। बहुत अच्छी और प्यारी थी। मुझसे बहुत प्रेम करती थी, कहती थी कभी तुमसे दूर नही जाऊंगी। वो जब ऐसा कहती थी तब मैं भी प्रेम में डूबे आशिकों की तरह प्रेम की चाशनी के डूबे कुछ शब्दों को निकालकर कहता था……….
“अरे पगली तुम्हे जाने कौन देगा, ऐसा दुनिया में कुछ है जो मुझे तुमसे मिलने से, प्यार करने से रोक ले।”
“हां है”
“क्या? कहीं तुम मां की बात तो नही कर रही ”
“नहीं आंटी से क्या दिक्कत है, दिक्कत बस शराब से है। तुम्हारे पीने से है। देख लेना अगर कभी भी पिये रहोगे तो पास नही आउंगी।”
“अरे गुस्सा क्यों होती हो, नहीं पियूँगा अबसे। इसमें कौन सी बड़ी बात है”
“खाओ मेरे सर की कसम”
“अरे तुमलोग हर बात में कसम क्यों खिलाने लगती हो। कसम खाने के बाद आदमी भगवान हो जाता है क्या? अरे नही पियूँगा, बस कह दिया। कसम खाना जरूरी है क्या?”
“अच्छा ठीक है मैं जा रही हूँ, अब कभी बात नही करना मुझसे, फोन नही करना समझे। टाटा बाय बाय बाय”
“अच्छा-अच्छा तुम्हारे सर की कसम अबसे नही पियूँगा अबसे। अब खुश। अब पास आ जाओ।”
“ये क्या तुम आज भी पिये हो। आज ही तुमने कसम खायी है”
“अरे ये पहले का है, कसम तो आज खाई है न , कल से बंद। अब करीब आ जाओ”।
इस दिन के बाद से मैंने कभी शराब नही पी। दोस्तों ने काफी कहा “अरे पी ले, अरे पी ले, अरे दवा है, अरे पीले , पीले-पीले ओ मोरे राजा पीले पीले ओ मोरे जानी” दोस्तों के इतना पी ले, पी ली कहने के बाद शायद ही कोई पीने वाला शख्स हो जो शराब देखकर न पिघले। पर मैं नहीं पिघला। उनके इतना कहने के बाद भी मैनें कभी शराब नही पी।
उनके इतना कहने के बाद, कई दफा शराब की बोतल जेब में रखने के बाद भी मेरी कभी हिम्मत नही हुई कि मैं पी लूं। मैं जब भी पीने की सोचता, तब मेरे आंखों के सामने उसका चेहरा नजर आता। उसके नाकों में चुभा वो सोने का छोटा सा कील नजर आता, उसके होठों के नीचे का वो तिल नजर आता। उसकी आँखों में अँधेरे को भी हसीन बनाने वाला काजल नजर आता, उसके होठों पर गुलाब से भी ज्यादा सुर्ख बिखरा चटख लाल रंग नजर आता। इतना कुछ काफी होता है किसी आदमी का खुद का कोई फैसला बदलने के लिए।
वो कहते है न इंसान के दुनिया में प्यार में बहुत बड़ी ताकत होती है। हां एकदम फ़िल्मी दुनिया की तरह। इतनी ताकत की वो बड़े से बड़े सेठ की खुली तिजोरी पर थूक कर चली जाए, इतनी ताकत की वो भूटान जैसा देश होकर भी रसिया-अमेरिका जैसे देशों से भिड़ जाए। उसका भी यही मानना था। प्रेम मजबूत बनाता है। जब छाती को प्रेमिका का प्यार भरा स्पर्श मिलता है न तब छाती किसी कवच से कम नही होती। “अरे घोंप दो खंजर हम नहीं मरने वाले ” आदमी ऐसी बाते करने लगता है।
पर आदमी भला खंजर से कहाँ मरा है। आदमी शक से मरता है। जैसे टोनी मोंटाना एक शक की वजह से अपने दोस्त चिको को मार देता है वैसे ही शक हर इंसान को टोनी मोंटाना बना देता है।
मैं भी शक की धीमी जलती आग के धुएं मेंटोनी मोंटाना बनने लगा। कसम खाने के दस दिन बाद से मुझे उसकी हर बात में थोड़ी थोड़ी खामियां नजर आने लगी। प्रेम थोड़ा पुराना हो जाए तो खामियां नजर लाजिमी है। हनीमून पीरियड के बाद आदमी हनीमून को एकदम लिटरली शहद और चाँद की तरह विजुअलाइज करता है। आपके प्लेट में कोई शहद से लिपटा चाँद रख दे तो आप खायेंगे। ये प्रेम का ही एक दौर हैं जहाँ थोड़ी बोरियत आने लगती है। प्रेम में बोर होना बड़ी ही अच्छी और लाजिमी चीज है। आप प्रेम में बोर नही होंगे तो बहुत सारे बच्चे पैदा कर देंगे। प्रेम में खामियां जरुरी है इसलिए एक दिन मैंने प्रेम में कुछ खामियां निकालकर उस से पूछा था……..
“तुम डेविड अल्बर्ट के साथ “लव इन द सेंस ऑर्गन्स” फ़िल्म क्यों देखने गयी थी”
“अरे मैं कॉलेज से घर आई ही थी कि वो फिल्म की टिकटें लेकर चला आया। उसने काफी मिन्नतें की तो फिर मैं उसका दिल रखने के लिए उसके साथ चली गयी। हां फिर कुछ देर के बाद मुझे लगा कि ये फ़िल्म मुझे उसके साथ नहीं देखनी चाहिए तो मैं वापिस चली आई। मैंने उस दौरान तुम्हें कितनी दफा फोन भी किया, मैसेज भी किया पर तुम्हारा कोई जवाब नहीं आया।”
“हां ठीक है। उस समय मेरा फोन साइलेंट पर होगा”
“क्यों था, अगर मुझे कभी तुम्हारी जरूरत हो और तुम्हारा फोन साइलेंट हो तब”
“ऐसा हर बार नही होगा, अब ठीक है पास आओ। प्रोमिस करो अब तुम कभी उस डेविड अल्बर्ट के पास नही जाओगी।”
“अरे उस चेंप के पास अब दुबारा कौन जाएगा”
“अच्छा ठीक है आओ अब अपने इस चेंप से लिप्त जाओ”
“भक्क”
मेरा शक उस दिन खत्म हो गया था। ठीक वैसे ही जैसे कुछ पेंसिल से लिखा हुआ मिटा दिया जाता है। हां, ये अलग बात होती है कि ऐसे में कुछ निशान बाकी रह जाते हैं। पर अब जिंदगी और लव लाइफ सबकुछ पटरी पर आ गयी थी। हम दोनों साथ मे बहुत खुश थें। वो मुझे अपने घर पर फैमिली डिन्नर पर बुलाने वाली थी।
मैं उसके घर गया भी था लेकिन मुझे एक चीज खल गयी थी। वहाँ पहले से ही डेविड अल्बर्ट मौजूद था। मैं उस दिन उसके घर से बहुत जल्द चला आया और एक बार में एक बीयर आर्डर कर दिया। आदमी की जब इच्छाशक्ति जवाब दे देती है या आदमी जब खुद से हार जाता है या कमजोर हो जाता है तो वो अपनी गलतियां किसी और पर थोपता है। मैं बहुत हारा हुआ और कमजोर आदमी निकला और उस दिन मैंने जम के बियर पी। मैंने सोच रखा था की अगर वो पूछेगी की कसम खाकर भी तुमने शराब क्यूँ पी तो मैं कह दूंगा ये सिर्फ डेविड अल्बर्ट की वजह से है। मैं इतना सोचकर एक गिल्ट से निकल आया था। पर मुझे उस दिन पता नही था की मैं एक ऐसे गिल्ट के समंदर में डूबने वाला हूँ जिसका कोई तल नही है।
उस रात मुझे उसके फोन से कई मिस्ड काल आये मैंने किसी का जवाब नही दिया। आदमी कभी-कभी अपने आप में इतना चूर हो जाता है की अंधा हो जाता है। मैं भी उस दिन अंधा हो गया था मुझे उस दिन कुछ नही दिखा सिवाय डेविड अल्बर्ट के मैसेज के। डेविड का मैसेज आया था। उसने लिखा था “रिया का एक्सीडेंट हो गया है। जल्दी आओ हॉस्पिटल में है वो।
कभी-कभी जब मुझे नशा बहुत हो जाता था तो मैं खटाई खाकर नशा कम कर लेता था. उस दिन डेविड अल्बर्ट का वो मैसेज खटाई से 1000 गुना खट्टा था। मेरा नशा तुरंत गायब हो था ठीक उसी तरह जैसे मेरे शहर के एक बड़े नेता की आलोचना करने वाले पत्रकार अचानक से गायब हो जाते थे। आदमी जब डरा हुआ घबराया हुआ होता है तो कभी कभी बहुत ताकतवर हो जाता है। मैं उस दिन दौड़कर हॉस्पिटल गया था। इतना तेज अगर मैं ओलिंपिक में दौड़ा होता तो देश के नाम एक मैडल जरुर ले आता।
हॉस्पिटल पहुँचने पर मुझे पता चला की उसे खून की जरूरत है। वहां पहुंचे सभी लोग खून देने को तैयार थे पर किसी का ब्लड ग्रुप उसके ब्लड ग्रुप से मैच नहीं करता था। डेविड अल्बर्ट ने उस दिन फेसबुक पर कई ब्लड डोनर्स रिक्वायर्ड वाले कई स्टेट्स फेसबुक पर अपलोड किये थे पर खून बहुत जल्दी चाहिए था और नजदीक का कोई ऐसा शख्स नही मिला जो उसे खून दे पाए। मेरा ब्लड ग्रुप ओ नेगेटिव है। मैं किसी को भी खून दे सकता हूँ। मैंने उस दिन उसे खून देने की कोशिश की थी पर चूँकि मेरे खून में शराब मिली थी इसलिए मैं उसे खून नहीं दे पाया। उसकी हालत नाजुक थी और जल्दी खून न मिलने की वजह से वो मर गयी। मर गयी। मरना मरने वाले के लिए बड़ी सुखद प्रक्रिया होती होगी। पर मरने वाले के चाहनेवालों के लिए ये दुःख का गहरा कुवां होता है।
उसके मरने के बाद मैं वहां से तुरंत भाग कर अपने कमरे में चला आया था। मुझे रोना नही आता था इसलिए मैं कई महीनों तक अपने कमरे में बंद पड़ा-पड़ा गूंगा हो गया।
आज उसको गए एक साल हो गए हैं। मैंने उसके शहर को छोड़ चुका हूँ। मेरी एक प्रेमिका भी है पर मैं उस से दो महीने में एक बार ही मिलता हूँ। अब मैं बहुत कम बोलता हूँ।
अभी से कुछ घंटो बाद उसका जन्मदिन आने वाला है। मेरे हाथों में अभी शराब का एक प्याला है दुसरे हाथ में एक छोटा सा ताजमहल है जिसके अन्दर एक लड़का और लड़की एकदूसरे का हाथ थामें खड़ें है। उसने मुझे मेरे जन्मदिन पर दिया था यह तोहफा। कहा था हम दोनों यूँ ही साथ रहेंगे। मैं कभी तुम्हें छोड़ के नहीं जाउंगी। लडकियां जब सच्चा प्यार करने लगें तो उनसे डरना चाहिए। मैं उसकी ये बात सुनकर थोडा डर गया और तेजी से शराब गटक गया ।
मैं अभी जहाँ हूँ वो मेरे घर का बरामदा है। बरामदे के बाजू मेरा कमरा है। बरामदे की खिड़की से मुझे अपना कमरा साफ़-साफ़ दिखता है। आज भी दिख रहा है। पर आज मेरे कमरे में बहुत दिनों बाद वो लौट आई है। वो मेरे बेड पर बैठी 12 बजने का इन्तजार कर रही है। उसे इन्जार है की जैसे ही 12 बजेगा मैं उसे हैप्पी बड्डे विश करूंगा। उसकी आँखें लाल है और मुझे पूरा अंदाजा है की वो बहुत गुस्से में है। उसका पूरा शरीर नीला है जैसे उसके जिस्म में खून का एक भी कतरा न हो। मुझे उसकी घूरती आँखें साफ़ साफ़ कहती सुनाई पड़ रही है की उसे आज भी खून की जरूरत है और मेरी नशे से लाल हो चुकी आँखें आज भी कह रही है की मैं खून नही दे पाउँगा।
मुझे पता है की वो इस बार मुझे इस बात के लिए माफ़ नही करेगी और हो सके तो मुझे मार दे । लेकिन मारने के लिए उसे मेरे करीब आना होगा। और उसने कहा था मैं जब भी शराब पियूंगा वो मेरे सामने नहीं आएगी । मुझे अभी लम्बे समय तक ज़िंदा रहना है। इसलिए शायद मुझे लम्बे समय तक यूँ ही इस बरामदे में बैठे नशे में डूबना होगा।
(अराहान असफल की फेसबुक वॉल से)