सौरभ अरोरा, भोपाल: शिवराज सरकार में मध्यप्रदेश के हालात अजब ही हो रहे हैं। यूं तो शिवराज सिंह चौहान पिछले कुछ दिनों से सख्त तेवर अख्तियार करने के संकेत दे रहे हैं। कभी मार दूंगा, कभी गाढ़ दूंगा टांग दूंगा जैसे शब्दों के साथ वो सख्ती दिखा भी रहे हैं। पर हाल ही में ऐसा वाक्या हुआ जिसे सुनकर लगता है कि उनकी ये सख्ती का असर कुछ खास हो नहीं रहा है।
इस घटना को सुनेंगे तो आपको भी ऐसा ही लगेगा कि सीएम की ये सख्ती शायद किसी काम की है नहीं। ये मामला वन विभाग का है जहां एक वन रक्षक ने वन मंत्री से ही रिश्वत मांग ली। हुआ ये कि इटारसी के पास सुखतवा से तैयार होकर सागौन का फर्नीचर भोपाल जा रहा था। इस फर्नीचर से भरे वाहन को सुखतवा में पदस्थ वनरक्षक ने रोक लिया। वनरक्षक ने वाहन को रवाना करने के लिए रिश्वत मांगी। मजेदार बात ये थी कि जिससे रिश्वत मांगी जा रही थी उस वाहन में भरा सामान वन मंत्री के घर ही जाना था।
केवल इतना ही नहीं ड्राइवर ने जो बिल दिखाया उस पर भी वन मंत्री का नाम लिखा था। इसके बावजूद वन रक्षक नहीं माना और रिश्वत लेकर ही वाहन को रवाना किया। इससे भी ज्यादा हैरानी ये जानकर होगी कि उस वनरक्षक पर वन विभाग ने कोई कार्रवाई भी नहीं की है सिर्फ जांच का आश्वासन दिया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब वन मंत्री के काम की ही रिश्वते देनी पड़े तो आम जनता का काम कैसे होता होगा।