नई दिल्ली: पहले क्वाड शिखर सम्मेलन में पूर्वी लद्दाख सेक्टर में चीन की आक्रामकता पर भी चर्चा हुई। न्यूज एजेंसी के मुताबिक क्वाड नेताओं का इस मुद्दे पर रुख सहानुभूति वाला रहा। यह बात चीन को जरूर चुभने वाली है। वह पहले से ही क्वाड को लेकर चिढ़ा हुआ है। क्वाड समिट में पूर्वी लद्दाख के मुद्दे पर ऐसे वक्त में चर्चा हुई जब शुक्रवार को ही भारत और चीन के बीच एलएसी पर सैनिकों के पीछे हटने को लेकर कूटनीतिक स्तर की 21 वीं मीटिंग हुई। उसमें दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जाहिर की कि दोनों देशों को गतिरोध वाले सभी स्थानों से जल्द से जल्द सैनिकों की पूरी तरह वापसी के लिए आपसी स्वीकार्य हल पर पहुंचने के लिए बातचीत जारी रखनी चाहिए।
क्वाड में जो 4 देश हैं उनमें भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पहले क्वाड शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। इस वर्चुअल समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा शामिल हुए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने क्वाड समूह के पहले शिखर सम्मेलन में कहा, ‘हम अपने लोकतांत्रिक मूल्यों और मुक्त व समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर अपनी प्रतिबद्धता के लिए एकजुट हैं।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज हमारे एजेंडा में वैक्सीन, क्लाइमेट चेंज और इमर्जिंग टेक्नॉलजी जैसे सेक्टर शामिल हैं, जो ‘क्वाड’ को वैश्विक भलाई की ताकत बनाते हैं।’उन्होंने कहा, ‘मैं इस सकारात्मक दृष्टिकोण को भारत के वसुधैव कुटुंबकम के दर्शन के विस्तार के तौर पर देखता हूं, जो कि पूरी दुनिया को एक परिवार मानता है।’
वर्चुअल समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के लिए ‘क्वाड’ महत्वपूर्ण मंच बनने जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘हम अपनी प्रतिबद्धताओं को जानते हैं … हमारा क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय कानून से संचालित है, हम सभी सार्वभौमिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध हैं और किसी दबाव से मुक्त हैं लेकिन मैं हमारी संभावना के बारे में आशावादी हूं।’