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Twitter पर सख्त कार्रवाई की तैयारी में सरकार, करना ही होगा कानून का पालन

नई दिल्ली: ट्विटर हैंडल पर फार्मर्स जेनोसाइड हैशटैग से जुड़े सभी यूआरएल को ब्लॉक करने में आनाकानी पर सरकार ट्विटर के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकती है। सरकार का कहना है कि ट्विटर सरकार के निर्देश का पालन आधे-अधूरे मन से कर रहा है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। ट्विटर को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (आइटी एक्ट) के तहत गठित कमेटी की तरफ से निर्देश दिए गए थे जिनका पालन 48 घंटे में हो जाना चाहिए था।

ट्विटर को दिए गए सख्‍त निर्देश

बुधवार की देर शाम ट्विटर के शीर्ष प्रबंधन की गुजारिश पर आइटी सचिव ने उनसे वर्चुअल मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक ट्विटर को कहा गया कि भारत के कानून का पालन करना ही होगा और भारतीय व्यवस्थाओं के मुताबिक यहां कारोबार करना होगा। ऐसा नहीं करने पर आइटी कानून की धारा 69ए के तहत ट्विटर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी जिसमें जेल की सजा तक का प्रविधान है।

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट को स्पष्ट बता दिया है कि निर्देशों के आधे-अधूरे पालन से काम नहीं चलेगा और भारत में कारोबार करने के लिए उन्हें भारत की संवैधानिक कमेटी के निर्देश का पूरी तरह से पालन करना होगा। अचरज की बात यह है कि मुलाकात से पहले ही ट्विटर की तरफ से फिर से बयान जारी कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने भी दिए हैं प्रविधान

ट्विटर को यह सुप्रीम कोर्ट के कई मामलों के हवाले से यह भी बताया गया कि बोलने की स्वतंत्रता के अधिकार तब अधिकार नहीं रह जाता है जब उससे कानून व्यवस्था व सामाजिक व्यवस्था पर खतरा हो।

भड़काने के लिए किए गए ट्वीट 

सरकार ने ट्विटर को गत 31 जनवरी को फार्मर्स जेनोसाइड से जुड़े 257 यूआरएल को निष्क्रिय करने का निर्देश दिया था, लेकिन अब तक सिर्फ 126 यूआरएल के खिलाफ कार्रवाई हुई। वैसे ही, सरकार ने 1,178 वैसे ट्विटर अकाउंट को भी ब्लॉक करने का निर्देश दिया था जो पाकिस्तान व खालिस्तान समर्थक हैं और वे किसान आंदोलन के नाम पर भारत में अशांति और उपद्रव भड़काने के लिए ट्वीट कर रहे थे। ट्विटर ने सिर्फ 583 अकाउंट को बंद किया है।

इस प्रकार के ट्वीट भारत की एकता एवं अखंडता के लिए खतरनाक हो सकते हैं और ‘मोदी प्लान्स फार्मर्स जेनोसाइड’ जैसे हैशटैग अभिव्यक्ति की आजादी नहीं हो सकती। मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक देश का संविधान अभिव्यक्ति की आजादी देता है, लेकिन देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए एक सीमा तक उसे रोकने का भी हक सरकार को देता है।

द फ्रीडम स्टॉफ
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