नई दिल्ली: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्रेजेनेका की कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड (Covishield) को भारत में इमरजेंसी प्रयोग की अनुमति मिल गई है। सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने कोविशील्ड वैक्सीन को सशर्त मंजूरी की सिफारिश की है। इससे उम्मीद बढ़ गई है कि जनवरी में ही भारत में बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन शुरू हो जाएगा। लंबे समय से बीमारी का हल ढूंढ़ रहे डॉक्टरों की कड़ी मेहनत के बाद भारत के करोड़ों लोगों को इस कोविशील्ड से एक आस जगी है। आइए जानते हैं कोविशील्ड के बारे में हर बातें।
कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर बनाया है। इससे पहले, ब्रिटेन ने भी बुधवार को ही ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दी है। अदार पूनावाला का सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) इसके भारत में ट्रायल्स कर रहा है। इसे ही एक्सपर्ट कमेटी ने सशर्त मंजूरी की सिफारिश की है।
बता दें कि यह वैक्सीन जिसका भारत में निर्माण चल रहा है यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। उत्पादन के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी में सीरम इंस्टीट्यूट का नाम ही आता है। इसकी स्थापना 1966 में हुई थी। इसके संस्थापक डॉ साइरस एस पूनावाला थे।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भारत सरकार को एक डोज 200 रुपये में देगी यानी दो डोज की वैक्सीन 400 रुपये में दी जाएगी। लेकिन ये दाम सिर्फ सरकार के लिए है, क्योंकि सरकार सीरम से करोड़ों डोज खरीद रही है। अगर कोई प्राइवेट कंपनी वैक्सीन की डोज खरीदती है तो 1 हजार रुपये एक डोज के लिए देने होंगे। यानी किसी प्राइवेट जगह से वैक्सीन लेने का खर्च 2 हजार रुपये होगा।
विशेषज्ञों की मानें तो सभी कुछ ठीक रहा तो दो हफ्ते के भीतर देश में वैक्सीनेशन का काम शुरू हो जाएगा। सीरम इंस्टीट्यूट की तैयारी मार्च तक 10 करोड़ डोज उपलब्ध कराने की है। भारत में पहले फेज में प्रायरिटी ग्रुप्स में शामिल 30 करोड़ लोगों को वैक्सीनेट किया जाना है।