इंटरनेशनल डेस्क: पूरी दुनिया में सात माह बाद भी कोविड-19 का कहर व्याप्त है। रॉयटर्स के मुताबिक पूरी दुनिया में इससे संक्रमित 23,968,333 मरीज हैं जबकि 819,426 मरीजों की मौत भी हो चुकी है। पूरी दुनिया में इससे उबरने वालों की संख्या 15,588,291 है। इस बीच पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इस बात पर भी मंथन कर रहे हैं कि क्या इस वायरस से उबरने या ठीक होने के बाद भी कोई व्यक्ति दोबारा इसकी चपेट में आ सकता है। ये सवाल इसलिए भी उठा है क्योंकि कुछ देशों में इसकी दूसरी लहर को देखा जा रहा है। वहीं हांगकांग में एक ऐसा ही मामला सामने भी आया है।
हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से इस बात की कम ही संभावना जताई गई है कि इस वायरस से संक्रमित कोई व्यक्ति ठीक होने के बाद दोबारा इससे संक्रमित हो सकता है। आपको बता दें कि हांगकांग में एक व्यक्ति चार माह पहले इसकी चपेट में आया था और एक बार ठीक हो जाने के बाद अब वो दोबारा संक्रमित पाया गया है। हांगकांग में सामने आए अपनी तरह के इस पहले मामले की घोषणा वहां की यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा ही की गई थी। इसके अनुसार जिन वायरस से व्यक्ति चार माह पहले संक्रमित हुआ था वो अलग किस्म के थे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रवक्ता डॉक्टर मार्गरेट हैरिस ने जिनेवा में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि किसी व्यक्ति के दोबारा संक्रमित होने की संख्या बेहद कम है। अब तक सामने आए 2 करोड़ 39 लाख से अधिक मामलों में ये अकेला मामला सामने आया है। यदि ऐसा होता तो अब तक कई और इसी तरह के मामले सामने आ गए होते। उन्होंने इस बात की भी आंशका जताई है कि शायद आने वाले दिनों में ऐसे कुछ और मामले सामने आ जाएं। उन्होंने माना है कि व्यक्ति को दोबारा संक्रमित होने का जो एक मामला सामने आया है वो काफी महत्वपूर्ण है।
मार्गरेट के मुताबिक इस मामले में महत्वपूर्ण बात ये है कि इस मामले की पूरी डिटेल एविडेंस के साथ एकडॉक्यूमेंट के रूप में हमारे सामने आई है। उन्होंने ये भी कहा कि उनके सामने कई ऐसे मामले आए हैं जिनमें पहले मरीज संक्रमण मुक्त था लेकिन बाद में टेस्ट के दौरान वो पॉजीटिव पाया गया। ऐसे मामलों में ये स्पष्ट नहीं हुआ है कि ये सब टेस्टिंग की गड़बड़ी की वजह से हुआ या इसके पीछे कुछ और वजह रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ये जानने की कोशिश कर रहा है कि लोगों की रोग प्रतिरोधी क्षमता के मामले में इसका क्या मतलब है। इसलिये अनेक शोध संगठनों के माध्यम से लोगों के स्वास्थ्य की निगरानी की जा रही है। इसमें रोग प्रतिरोधी तत्व यानि एंटीबॉडीज की जानकारी एकत्रित करना सबसे अहम है। इससे ये समझा जा सकता है कि रोग प्रतिरोधी क्षमता कितने समय तक सटीक काम करती है, इसे प्राकृतिक रोग प्रतिरोधी क्षमता कहा जाता है। ये क्षमता किसी वैक्सीन द्वारा मुहैया कराए जाने वाले संरक्षण से अलग होती है।