सौरभ अरोरा, मप्र ब्यूरो: कोरोना महामारी ने जहां एक नए नॉर्मल को जन्म दिया है, वहीं ऐसे केस भी बढ़े हैं जहां डॉक्टर की लापरवाही की वजह से कई लोगों की मौत हो गई. हाल ही में ही एक मामला मध्य प्रदेश से सामने आया. जहां एक व्यक्ति की अस्पताल के बाहर मौत हो गई क्योंकि कथित तौर पर उसकी पत्नी अस्पताल में पर्चा नहीं बनवा पाई. इसलिए नहीं बनवा पाई क्योंकि उस पर्चे की कीमत 5 रुपये थी और उसके पास इतने पैसे नहीं थे.
ये घटना मध्य प्रदेश के गूना की है, जहां एक व्यक्ति 12 घंटे तक अस्पताल के बाहर एक पेड़ के नीचे पड़ा रहा और बिना इलाज के ही उसकी मृत्यु हो गई. उसकी पत्नी का आरोप है कि अस्पतालवालों ने बिना पर्चे के उन्हें एडमिट नहीं किया और मौत के बाद भी कई देर तक उसका शव वहीं पड़ा रहा. टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, उसकी पत्नी का कहना था कि उसके पति की लाश को उठाने के लिए 1 घंटे तक भी कोई नहीं आया. एक घंटे के बाद किसी ने बॉडी उठाने में मदद की.
इस घटना पर मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने आक्रोश ज़ाहिर करते हुए कहा, “क्या हालत हो गयी प्रदेश की? हमने तो ऐसा प्रदेश नहीं सौंपा था? आप विधायकों की ख़रीद – फ़रोख़्त करते रहो,खुली बोलियाँ लगाते रहो,वही प्रदेश के गुना में ज़िला अस्पताल के सामने अशोक नगर निवासी एक महिला अपने ढाई साल के बच्चे के साथ अपने पति के इलाज के लिये दिन भर गुहार लगाती रही, 5 रुपये नहीं होने पर उसका इलाज का पर्चा नहीं बनाया गया और उसका इलाज नहीं किया गया और उसकी आँखो के सामने ही उसके पति ने तड़प- तड़प कर दम तोड़ दिया। यह है प्रदेश कि स्वास्थ्य सेवाएँ , शिवराज सरकार में प्रदेश की स्थिति ?दावे बड़े- बड़े लेकिन धरातल पर स्थिति ज़ीरो।”
इस मामले पर गुना प्रशासन ने मजिस्ट्रेट स्तर की जांच बैठा दी है. इस मामले में ये कहा गया कि महिला के पास सरकारी अस्पताल का पर्चा ख़रीदने के लिए 5 रुपये नहीं थे, जबकि सिकिल सर्जन एस.के. श्रीवास्तव का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में पर्चे के लिए कोई पैसे नहीं देने पड़ते.
मृतक की पत्नी का आरोप था कि उसे पैसे देने पड़े और वो इन पैसों के का इंतज़ाम करने गई. मृतक का नाम सुनील रजक बताया जा रहा है. सुनील की पत्नी अनीता का कहना है कि उसके पति बुधवार को बीमार हुए थे. “मैं उन्हें पेड़ के नीचे लेटा कर चली अस्पताल की फ़ॉर्मैलिटी पूरी करने गई थी. लेकिन, काउंटर पर मुझसे कहा गया कि 5 रुपये पर्चे के देने होंगे। मैं बोलती रही कि सांसें चल रही हैं और उन्हें बचाया जा सकता है लेकिन किसी ने मदद नहीं की. उनकी मौत के बाद तक भी मैं एक घंटे तक इंतज़ार करती रही लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आया.”