आशुतोष गुप्ता, डलमऊ, रायबरेली: कहते हैं पुलिस जब अपने पर आती है तो असंभव काम भी संभव हो जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ रायबरेली के डलमऊ में जहां एक बच्ची को अपने माता-पिता और घर का पता मालूम ना हो और बच्ची रोते बिलखते सड़क पर मिल जाए, तो उसके माता-पिता को ढूंढ पाना इतनी आसान बात नहीं है, जितनी कि, हम आप समझते हैं।
हुआ यूं कि, बुधवार को डलमऊ कोतवाली क्षेत्र के पूरे गौतम और पूरे नाथू के पास सड़क पर रोती बिलखती राहगीरों को लगभग 2 से 3 वर्ष की एक नाबालिग बच्ची मिली थी। ग्रामीणों ने उसके माता-पिता की खूब खोजबीन की लेकिन परिजनों का पता नहीं चल सका था, उसके पश्चात पूरे गौतम निवासी राम लाल की पत्नी राम पति ने उस बच्ची को गोद ले लिया। इतना ही नहीं उस बच्ची को लेने के लिए अफताब नगर निवासी केश कुमार की पत्नी अर्चना भी प्रयास कर रही थी, यहां तक की जब भनक पुलिस को लगी, तो पुलिस ने बच्ची को डलमऊ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से सुभाष चिल्ड्रन सोसायटी रायबरेली भेजने की कार्यवाही करने लगी।
पुलिस की कार्यशैली यहीं पर समाप्त नहीं हुई, उसने ठान लिया कि, इस नाबालिग बच्ची के माता-पिता कौन है उन्हें ढूंढ कर बच्ची को उनके सुपुर्द करना है। इस दृढ़ संकल्प के साथ रायबरेली जनपद के डलमऊ कोतवाली प्रभारी श्रीराम के नेतृत्व में तत्काल एक टीम बनाई गई, और क्षेत्र में नाबालिग बच्ची की फोटो लेकर भेज दिया गया। करीब 4 घंटों के बाद नाबालिग बच्ची के माता-पिता पुलिस को मिल ही गए।
नाबालिग बच्ची प्रियंका जोहवा नटकी निवासी मुकेश की पुत्री है। जब पुलिस बच्ची को लेकर उसके घर पहुंची, तो परिजनों के होश उड़ गए, नाबालिग बच्ची घर से बाहर कैसे पहुंची, यह बात किसी को नहीं मालूम, परिजन बच्ची को गोद में लेकर पकड़ कर फफक-फफक कर रो उठे। नाबालिग बच्ची को उसके माता-पिता से मिलाने में महिला कांस्टेबल रश्मि सिंह चंदेल और महिला कांस्टेबल शीतल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। डलमऊ कोतवाली प्रभारी श्रीराम के इस सराहनीय कार्य को लेकर ग्रामीणों में जमकर प्रशंसा हो रही है।