उत्तर प्रदेश

नेपाल के लोगों की जुबानी: मेरे दो धाम, जनकपुरी विराजीं सीता और अयोध्या में राम

जनकपुरी की माता सीता और अयोध्या के भगवान राम। अकाट्य बुनियाद पर टिके इस तथ्य को पूरी दुनिया स्वीकारती है। इसमें असीमित प्रमाण हैं, उतनी ही अगाध श्रद्धा भी। भारत ही नहीं, नेपाल के लोग भी संस्कृति-स्वभाव और पौराणिक आधार पर एक-दूसरे से आज भी रिश्ता रखते हैं। वे कहते हैं- मेरे दो धाम। यहां जनकपुरी में विराजीं माता सीता और अयोध्या में भगवान राम।

भले ही नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली अयोध्या पर भ्रमित करने वाला बयान देते हों। वो राजनीतिक या कूटनीतिक हितों से ओतप्रोत हो सकता है, मगर माता सीता और भगवान राम की नगरी तो रामचरित मानस की प्रामाणिकता के साथ दोनों देश के लोगों के मन में समाई है।

पीलीभीत के सीमावर्ती गांव नौजल्हा नकटहा से सटे के नेपाल के गांव दोधारा चांदी में रहने वाले नैन सिंह इस रिश्ते और श्रद्धा में खुद को भी शामिल बताते हैं। बॉर्डर वाली सड़क पर बातचीत शुरू हुई तो बताने लगे, जब से होश संभाला, यही पढ़ा और सुना कि माता सीता जनकपुरी की थीं और भगवान राम उत्तर प्रदेश की अयोध्या नगरी के।

हमारे यहां बड़ी संख्या में लोग वहां दर्शन के लिए जाते हैं। मुस्कुराते हुए कहने लगे, सुना है कि अब तो वहां भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है। कभी मौका मिलेगा तो देखने जरूर जाऊंगा। इसी गांव के राम सिंह से सवाल किया कि क्या नेपाल में कहीं अयोध्या या भगवान राम की जन्म स्थली है। आश्चर्य के साथ जवाब के बजाय सवाल उठा देते हैं- क्या आपने कभी सुना कि दूसरी अयोध्या भी है।

मैंने तो जब से होश संभाला, यही सुना कि भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या थी, जो कि उत्तर प्रदेश में है। माता सीता और भगवान राम का वह रिश्ता आज भी दोनों देशों के स्वभाव- संस्कार में है। जिसे दोनों ओर से सहेजा जा रहा। मैं गुजरात में प्राइवेट नौकरी करता हूं। कभी नहीं लगा कि दूसरे देश में हूं। लॉकडाउन के कारण गांव लौटना पड़ गया। हालात ठीक होंगे तो वहीं चला जाऊंगा।

बरेली में कटरामानराय में रहने वाले बहादुर बचपन में यहां आकर बस गए। कहते हैं कि सालों से नेपाल नहीं गया। हां, इतना जरूर पता है कि वहां जनकपुरी में सीता माता का मंदिर बना हुआ है। भगवान राम का मंदिर कहां है, सवाल पर कहते हैं- हर किसी को पता है कि वह अयोध्या में है। नेपाल के प्रधानमंत्री के बयान को वह नकारते हुए कहते हैं कि जो बात सदियों से प्रमाणित है, जिसका ईश्वरीय आधार हो उसे किसी व्यक्ति के वक्तव्य से काटा नहीं जा सकता।

द फ्रीडम स्टॉफ
पत्रकारिता के इस स्वरूप को लेकर हमारी सोच के रास्ते में सिर्फ जरूरी संसाधनों की अनुपलब्धता ही बाधा है। हमारी पाठकों से बस इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें, शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के सुझाव दें।
https://thefreedomsnews.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *