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ICMR और भारत बायोटेक से विकसित कोरोना वैक्सीन का पहला ट्रायल गोरखपुर में

कन्हैया चौहान, गोरखपुर: आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) और भारत बायोटेक के सहयोग से विकसित कोरोना की वैक्सीन का ट्रायल उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में जल्द ही शुरू होगा। यह वैक्सीन जिले के राणा हॉस्पिटल को तीन से चार दिनों के अंदर मिलने की उम्मीद है। नतीजे बेहतर मिलने के बाद 15 अगस्त को इस वैक्सीन को लांच करने की तैयारी भी चल रही है। गोरखपुर में परीक्षण के लिए आईसीएमआर ने राणा हॉस्पिटल को चुना है। राणा हॉस्पिटल में वायरस पर लंबे समय से शोध चल रहा है। आईसीएमआर का पत्र मिलने के बाद राप्ती नगर स्थित राणा हॉस्पिटल ने उम्मीद जताई है कि तीन से चार दिनों के अंदर आईसीएमआर और भारत बायोटेक द्वारा विकसित वैक्सीन मिल जाएगी। इसमें कानपुर शहर के चिकित्सकों को भी शामिल किया गया है। ट्रायल का पहला चरण सात जुलाई से शुरू होगा। राणा हॉस्पिटल की निदेशक डॉ. सोना घोष ट्रायल टीम का हिस्सा हैं। उनके साथ शहर के डॉ़ अजीत भी शामिल किए गए हैं। ये लोग कानपुर की डॉ़ निधि सिंह के निर्देशन में ट्रायल करेंगे।

डॉ. सोना घोष ने बताया कि हॉस्पिटल में पहले से ही वायरस पर शोध होते रहे हैं। इसकी जानकारी आईसीएमआर को है। डॉ. निधि ने बताया कि गोरखपुर में राणा हॉस्पिटल को ट्रायल की जिम्मेदारी दी गई है। शोधकर्ता डॉ़ अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि आईसीएमआर से पत्र प्राप्त हुआ है। इस ट्रयल के लिए सैम्पल की संख्या का निर्धारण आईसीएमआर करेगा। सेहतमंद व्यक्तियों पर ट्रायल होगा। ट्रायल में शामिल लोगों की सेहत की निगरानी की जाएगी। इसमें दिल्ली, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार, तेलंगाना, ओडिशा, गोवा के अलावा सूबे के कानपुर व गोरखपुर के डॉक्टर भी शामिल हैं। बताया गया है कि इस वैक्सीन के लिए वायरस के स्टेन को स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है। यह वायरस शरीर के अंदर कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडी विकसित करेगा। आईसीएमआर के निदेशक डॉ़ बलराम भार्गव ने ट्रायल के लिए चयनित डॉक्टरों को भी पत्र लिखा है, जिसमें ट्रायल में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं। निर्देशित किया है कि 15 अगस्त तक ट्रयल पूरा कर नतीजे आईसीएमआर को भेजे जाएं। बेहतर रिपोर्ट मिलने के बाद 15 अगस्त को इस वैक्सीन को लांच करने की तैयारी भी चल रही है। वैक्सीन के मानव पर परीक्षण प्रक्रिया को फास्ट ट्रैक विधि से पूरा करने के लिए कहा गया है। यह विधि बेहद सरल है और नतीजे सटीक मिलते हैं। परीक्षण से किसी पर कोई खतरा नहीं आएगा।

द फ्रीडम स्टॉफ
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